हिमांशी ने यह बात एक रक्तदान शिविर में कही, जिसका आयोजन नेशनल इंटीग्रेटेड फोरम ऑफ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्ट्स (NIFAA) द्वारा करनाल में किया गया था। यह शिविर लेफ्टिनेंट नरवाल की 27वीं जयंती पर श्रद्धांजलि स्वरूप रखा गया था।
"हम नफ़रत नहीं चाहते, न्याय ज़रूर चाहते हैं"
हिमांशी ने कहा:
“हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों या कश्मीरियों को निशाना बनाएं। हम शांति चाहते हैं और सिर्फ़ शांति। बेशक हम न्याय चाहते हैं — जिन्होंने मेरे पति के साथ ये किया, उन्हें सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए। लेकिन किसी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाना, वह रास्ता नहीं है।”
हिमांशी और विनय की शादी इस हमले से मात्र एक सप्ताह पहले हुई थी। दोनों हनीमून के लिए पहलगाम गए थे, जब यह हमला हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकी हमले में लेफ्टिनेंट नरवाल को नज़दीक से गोली मारी गई, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
"उनके लिए प्रार्थना करें, नफरत मत फैलाएं"
हिमांशी ने अपने संबोधन में आगे कहा:
“मैं चाहती हूं कि पूरा देश विनय के लिए प्रार्थना करे। वो जहां भी हों, उन्हें शांति मिले। यही मेरी एकमात्र इच्छा है। मैं देख रही हूं कि कुछ लोग इस घटना के बाद मुसलमानों और कश्मीरियों के खिलाफ घृणा फैला रहे हैं — लेकिन हम ऐसा नहीं चाहते। यह हमारे देश की आत्मा के खिलाफ है।”
नरवाल की बहन ने जताया आभार
रक्तदान शिविर में मौजूद लोगों का आभार व्यक्त करते हुए विनय की बहन सृष्टि नरवाल ने कहा:
“हम उन सभी लोगों का धन्यवाद करते हैं, जो इतनी दूर-दूर से आकर रक्तदान कर रहे हैं। हमें हर ओर से संदेश मिल रहे हैं — यह देखकर दिल को सुकून मिलता है।”
हमले के बाद बढ़ी नफरत की घटनाएं
गौरतलब है कि 22 अप्रैल के इस आतंकी हमले के बाद देश के कई हिस्सों से कश्मीरी और मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ घृणा अपराध की घटनाएं सामने आई हैं। कुछ राज्यों में कश्मीरी छात्रों पर हमले, मकान खाली कराने की धमकी, और शैक्षणिक संस्थानों से निष्कासन जैसी घटनाएं दर्ज की गई हैं।
विशेष रूप से पंजाब से खबरें आईं कि कई कश्मीरी छात्र भय के कारण पढ़ाई बीच में छोड़कर वापस लौट गए। यह घटनाएं शोक और आक्रोश को सामाजिक नफरत में बदलने की एक खतरनाक प्रवृत्ति को दिखाती हैं।
देश को इस कठिन समय में शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनके परिवार से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो न्याय की मांग करते हुए भी सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। उनका संदेश सिर्फ़ एक शहीद की पत्नी का नहीं, बल्कि भारत की उस आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है जो नफ़रत नहीं, एकता में विश्वास रखती है।