श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं इस चिंता को लेकर गंभीर हैं कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से भूमि की उर्वरता क्षीण हो रही है। इसी को देखते हुए प्राकृतिक खेती मिशन की शुरुआत की गई है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए उपजाऊ धरती बचाई जा सके।
यह आयोजन 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के अंतिम दिन संपन्न हुआ, जो 15 दिवसीय राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम है। इस अभियान के दौरान श्री चौहान ने देश के 13 राज्यों के किसानों से संवाद किया, जिसमें ओडिशा, जम्मू, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पंजाब, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और दिल्ली शामिल हैं।
बारडोली की ऐतिहासिक भूमि पर खड़े होकर श्री चौहान ने सरदार वल्लभभाई पटेल को स्मरण करते हुए कहा, “यह वही भूमि है जहां 1928 में सरदार पटेल ने सत्याग्रह की शुरुआत की थी। आज मुझे यहां किसानों के बीच होने का सौभाग्य मिला है।”
किसानों के अनुभवों की सराहना
किसान चौपाल में मौजूद प्रगतिशील किसानों के अनुभव सुनते हुए श्री चौहान ने उनकी नई तकनीकों और नवाचारों की प्रशंसा की। मांडवी जिले के एक किसान ने बताया कि उन्होंने अपने सात बीघा खेत में प्राकृतिक खेती अपनाकर पारंपरिक खेती के मुकाबले बीस गुना अधिक उत्पादन किया और हर महीने ₹40,000 से ₹60,000 तक का लाभ अर्जित किया। वहीं, कल्पेश पटेल नामक किसान ने बताया कि वे पिछले पांच वर्षों से केले की प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें हर महीने ₹15,000 की आमदनी होती है।
श्री चौहान ने किसानों को आश्वस्त किया कि अगर प्राकृतिक खेती में किसी भी प्रकार की दिक्कत आती है, तो देशभर के कृषि वैज्ञानिकों की टीमें उनके सहयोग के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात के किसानों ने जिस तरह से प्राकृतिक खेती को सफलतापूर्वक अपनाया है, वह पूरे देश के किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
इस अवसर पर कई किसानों ने कीटनाशकों और प्राकृतिक खेती से जुड़ी व्यावहारिक चुनौतियों पर अपने सुझाव दिए, जिन पर कृषि मंत्री ने गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया।