ट्रम्प का बयान और टैरिफ की घोषणा:
व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में बुधवार को आयोजित "मेक अमेरिका वेल्थी अगेन" कार्यक्रम में ट्रम्प ने कहा, "यह मुक्ति दिवस है। 2 अप्रैल 2025 को अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म हुआ। भारत बहुत सख्त है। प्रधानमंत्री मोदी मेरे अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे। वे हमसे 52% टैरिफ लेते हैं, जबकि हम उनसे दशकों से कुछ नहीं लेते थे।" ट्रम्प ने इसे "जैसे को तैसा" नीति का हिस्सा बताया, जिसके तहत अमेरिका अब उन देशों पर समान टैरिफ लगाएगा जो अमेरिकी सामानों पर शुल्क लगाते हैं।
ट्रम्प ने भारत पर 26% टैरिफ को "रियायती" करार दिया, क्योंकि यह भारत द्वारा लगाए गए 52% टैरिफ का आधा है। तुलना के लिए, चीन पर 34%, वियतनाम पर 46%, और पाकिस्तान पर 29% टैरिफ लगाया गया है। ट्रम्प ने कहा, "मैं इसे और सख्त कर सकता था, लेकिन यह देशों के लिए एक संदेश है कि अब अमेरिका अपने हितों को पहले रखेगा।"
नए टैरिफ का समय और प्रभाव:
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि सभी देशों पर 10% का आधारभूत टैरिफ 5 अप्रैल से लागू होगा, जबकि भारत जैसे देशों पर अतिरिक्त 16% टैरिफ 9 अप्रैल से प्रभावी होगा। इसका मतलब है कि भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों पर कुल 26% शुल्क लगेगा। यह कदम भारत के निर्यात-आधारित क्षेत्रों, जैसे रत्न-आभूषण (8.5 बिलियन डॉलर), फार्मास्यूटिकल्स (8 बिलियन डॉलर), और पेट्रोकेमिकल्स (4 बिलियन डॉलर) को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, फार्मास्यूटिकल्स को इस टैरिफ से छूट दी गई है, जिससे भारतीय दवा कंपनियों को राहत मिली है।
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, "हम इस टैरिफ के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। यह एक मिश्रित स्थिति है। हम अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत जारी रखेंगे, जिसका पहला चरण सितंबर-अक्टूबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है।" मंत्रालय ने यह भी बताया कि भारत और अमेरिका का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 190 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर करना है।
भारत की तुलना में अन्य देशों पर टैरिफ:
ट्रम्प ने अपनी घोषणा में कई देशों पर टैरिफ की सूची पेश की। भारत पर 26% टैरिफ अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में कम है। उदाहरण के लिए:
चीन: 34% (पहले से 20% के साथ कुल 54%)
पाकिस्तान: 29%
वियतनाम: 46%
बांग्लादेश: 37%
यूरोपीय संघ: 20%
दक्षिण कोरिया: 25%
ट्रम्प ने कहा, "भारत के साथ हमारा रिश्ता खास है, इसलिए इसे छूट दी गई है, लेकिन अब समय आ गया है कि व्यापार में संतुलन लाया जाए।" विशेषज्ञों का मानना है कि भारत पर अपेक्षाकृत कम टैरिफ का कारण दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और हाल के महीनों में भारत द्वारा अमेरिकी सामानों पर टैरिफ में की गई कटौती हो सकती है।
भारत की प्रतिक्रिया:
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दिल्ली में कहा, "हम इसका विश्लेषण करेंगे। ट्रम्प के लिए अमेरिका पहले है, और मोदी जी के लिए भारत पहले है।" वहीं, भारतीय उद्योग निकायों जैसे असोचम और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन ने कहा कि भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह टैरिफ अन्य प्रतिद्वंद्वी देशों से कम है।
एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, "ट्रम्प के टैरिफ का भारत पर सीमित प्रभाव होगा। हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत है और वैश्विक स्तर पर हमारी स्थिति मध्य में है।" गोल्डमैन सैक्स और मॉर्गन स्टेनली जैसे वैश्विक विश्लेषकों ने भी इसे समर्थन दिया है।
मोदी-ट्रम्प की दोस्ती पर असर?:
ट्रम्प ने बार-बार मोदी को अपना "महान दोस्त" बताया, लेकिन टैरिफ को लेकर उनकी सख्ती ने सवाल उठाए हैं। फरवरी 2025 में मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार समझौते पर सहमति जताई थी। ट्रम्प ने कहा था, "मोदी स्मार्ट हैं, और मुझे उनसे सीखने को मिलता है।" हालांकि, अब यह टैरिफ उस दोस्ती की परीक्षा ले सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए रणनीति बनानी होगी। क्या भारत अपने टैरिफ में और कटौती करेगा या अमेरिका के साथ नया समझौता करेगा? यह आने वाले महीनों में साफ होगा।
9 अप्रैल से लागू होने वाले इस टैरिफ से पहले भारत के पास सीमित समय है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम वैश्विक व्यापार में बड़े बदलाव ला सकता है। भारत सरकार और उद्योग अब इस "मिश्रित बैग" का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि नुकसान कम से कम हो और अवसरों का लाभ उठाया जा सके।