गुरु: आत्मज्ञान का मार्गदर्शक
साध्वी शालिनीनंद महाराज के अनुसार, गुरु वही है जो जीव को आत्मज्ञान और परमेश्वर से जोड़े। सच्चा गुरु स्वयं ईश्वर का स्वरूप है, जो जीवात्मा को अज्ञान के अंधकार से निकालकर परम चेतना की ओर ले जाता है। केवल भगवा वस्त्र धारण करना या ऊँचे पद पर आसीन होना किसी को गुरु नहीं बनाता। इतिहास गवाह है कि कई अयोग्य व्यक्तियों ने सनातन संस्कृति को क्षति पहुँचाई। आज भी कुछ तथाकथित गुरु पाखंड फैलाकर लोगों को भटका रहे हैं।
पाखंड से सावधान
सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के प्रभाव में लोग अक्सर ऐसे लोगों के चरणों में पहुँच जाते हैं, जो झूठे उपदेशों के जरिए तन, मन और धन का शोषण करते हैं। साध्वी शालिनीनंद चेतावनी देती हैं कि ऐसे लोग न तो खुद को भगवान से जोड़ पाते हैं और न ही आत्मा का साक्षात्कार करा पाते। वे कहते हैं, "लगे रहो, भगवान जरूर सुनेगा," लेकिन जीव अज्ञान में ही जीवन व्यतीत करता है और अंततः अधोगति को प्राप्त होता है।
सद्गुरु की खोज और समर्पण
साध्वी शालिनीनंद ने भक्तों से आह्वान किया कि वे सच्चे सद्गुरु की खोज करें और उनके चरणों में जीवन समर्पित करें। सद्गुरु किसी जाति या वर्ण तक सीमित नहीं होते। श्रीपाद वल्लभ, साईंनाथ, गजानन महाराज, कबीर, नानक, रविदास जैसे संतों ने कलयुग में आत्मज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया। आज भी कोई न कोई दिव्यात्मा परमात्मा के कार्य में संलग्न है। हमें केवल पारखी बनना है।
सत्संग और भक्ति का महत्व
गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर साध्वी शालिनीनंद ने बताया कि पूजा रुचि बढ़ाती है, कथा प्रेम जगाती है, सत्संग से विवेक मिलता है, सुमिरन से प्रीति गहरी होती है, और कीर्तन से प्रेम का प्रवाह बढ़ता है। आत्म-निवेदन से विनम्रता और प्रभु की सेवा से उनके साथ संबंध स्थापित होता है। यह सब केवल सद्गुरु की शरण में संभव है।
जीवन का सही उपयोग
साध्वी शालिनीनंद ने भक्तों को चेताया कि वे अपने जीवन के अमूल्य समय, तन, मन और धन को सही दिशा में लगाएँ। उन्होंने भगवान शिव के कथन का उल्लेख किया:
"उमा कहउँ मैं अनुभव अपना। सत हरि भजनु जगत् सब सपना॥" (रामचरितमानस, अरण्यकांड)
अर्थात, सत्य केवल भगवान का भजन है, यह संसार एक स्वप्न मात्र है।
संकल्प का अवसर
गुरु पूर्णिमा 2025 के इस पवित्र दिन पर हर सनातनी को संकल्प लेना चाहिए कि वे सच्चे सद्गुरु की खोज करेंगे और उनके मार्गदर्शन में आत्मज्ञान और कल्याण का मार्ग अपनाएँगे। साध्वी शालिनीनंद का संदेश स्पष्ट है- ठगों से बचें, जौहरी की शरण लें, जो आपके जीवन को संवारे।