खरगे ने कहा कि बाबासाहेब ने संविधान के माध्यम से देश को समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे का रास्ता दिखाया, लेकिन मौजूदा सरकार उनके इस योगदान को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने कभी संविधान की प्रति जलाने की कोशिश की थी, उनके वैचारिक अनुयायी आज सत्ता में बैठे हैं। खरगे ने यह भी सवाल उठाया कि भाजपा और RSS ने अब तक आंबेडकर के किन सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारा है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आंबेडकर जयंती के मौके पर संसद भवन में बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद यह भी बताया कि इस कार्यक्रम में कई तरह की बाधाएं सामने आईं। उन्होंने दावा किया कि संसद के सेंट्रल हॉल में पुष्पांजलि के लिए समय निर्धारित था, लेकिन इसे प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के हिसाब से बदला गया। इसके बावजूद, खरगे ने कहा कि कांग्रेस और उनके कार्यकर्ता बाबासाहेब के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को कभी कम नहीं होने देंगे।
खरगे ने यह भी कहा कि बाबासाहेब का संघर्ष दलितों, पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए था, लेकिन आज उनकी विरासत को भुनाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग सामाजिक न्याय और समानता की बात करते हैं, वे वास्तव में इन मूल्यों के खिलाफ काम कर रहे हैं। खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और RSS का इतिहास आंबेडकर के विचारों का विरोध करने का रहा है, और यह विरोध आज भी विभिन्न रूपों में सामने आता है।
इसके साथ ही, खरगे ने देशवासियों से अपील की कि वे बाबासाहेब के दिखाए रास्ते पर चलें और संविधान की रक्षा के लिए एकजुट रहें। उन्होंने कहा कि संविधान न केवल एक दस्तावेज है, बल्कि यह देश की आत्मा है, जिसे हर हाल में बचाना होगा। उन्होंने युवाओं से भी आह्वान किया कि वे आंबेडकर के विचारों को पढ़ें और समझें, ताकि समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत किया जा सके।
खरगे के इस बयान ने देश में एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है। जहां एक ओर विपक्षी दल उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं सत्ताधारी पार्टी ने इसे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करार दिया है। कुछ नेताओं का कहना है कि आंबेडकर जयंती जैसे अवसरों पर इस तरह के बयान समाज को बांटने का काम करते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह बयान मौजूदा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का एक जरूरी कदम है।
आंबेडकर जयंती के मौके पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई जगहों पर रैलियां, सेमिनार और सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जिनमें बाबासाहेब के योगदान को याद किया गया। इस बीच, खरगे का यह बयान सोशल मीडिया पर भी व्यापक रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग इसे लेकर अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं, जिससे यह मुद्दा और भी गर्माता जा रहा है।
आने वाले दिनों में इस बयान का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव और गहरा हो सकता है। खरगे ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी बाबासाहेब के विचारों और संविधान की रक्षा के लिए हर मोर्चे पर लड़ाई जारी रखेगी।