1. डेडलाइन का रखें ध्यान – पेनल्टी से बचें
रिटर्न समय पर फाइल करना सिर्फ पेनल्टी से बचने के लिए नहीं, बल्कि फाइनेंशियल रिकॉर्ड और क्रेडिबिलिटी मजबूत करने के लिए भी ज़रूरी है। इससे रिफंड प्रोसेसिंग टाइम पर होती है और
सेक्शन 234A के तहत इंटरेस्ट नहीं देना पड़ता। साथ ही, लोन अप्रूवल, क्रेडिट कार्ड और वीज़ा प्रोसेसिंग में भी मदद मिलती है।
2. सभी इनकम सोर्स की जानकारी दें – कुछ भी न छुपाएं
कई लोग इनकम कम दिखाते हैं या भूल जाते हैं कि उनके पास एक से ज़्यादा इनकम सोर्स हैं।
चाहे वह
सैलरी, किराया, कैपिटल गेन, प्रोफेशनल इनकम, इंटरेस्ट, डिविडेंड, गेम्स या ऑनलाइन कमाई क्यों न हो—सब कुछ सही-सही डिस्क्लोज़ करें।
फ्रीलांसर, यूट्यूबर, ब्लॉगर, इन्फ्लुएंसर आदि को खास सतर्क रहना चाहिए।
गलत जानकारी देने पर
सेक्शन 270A और 276C के तहत पेनल्टी या नोटिस मिल सकता है।
3. ITR फॉर्म सही चुनें – गलत फॉर्म से रिटर्न हो सकता है रिजेक्ट
आईटीआर का सही फॉर्म चुनना बहुत जरूरी है।
*
ITR-1 सिर्फ सैलरीड पर्सन्स के लिए है, जिनकी इनकम ₹50 लाख तक हो।
* फ्रीलांसर, बिज़नेस या प्रोफेशनल इनकम वाले टैक्सपेयर्स को
ITR-3 या ITR-4 फॉर्म भरना चाहिए।
गलत फॉर्म से फाइलिंग डिफेक्टिव मानी जा सकती है और रिफंड में देरी हो सकती है।
4. AIS, TIS और फॉर्म 26AS से मिलाएं आंकड़े
रिटर्न भरने से पहले
फॉर्म 26AS, AIS (Annual Information Statement) और
TIS (Taxpayer Information Summary) से अपना डेटा मैच करें।
यह डाटा बैंक, म्यूचुअल फंड, रजिस्ट्रार और अन्य थर्ड पार्टी से आता है।
गलत मिलान होने पर
ऑटोमैटिक मिसमैच नोटिस आ सकता है।
5. टैक्स डिडक्शन क्लेम करें – लेकिन सबूत के साथ
सेक्शन 80C (इन्वेस्टमेंट), 80D (हेल्थ इंश्योरेंस), 80G (डोनेशन) जैसे डिडक्शंस का फायदा उठाएं—but be careful.
डिडक्शन क्लेम करते वक्त डॉक्यूमेंट्स संभालकर रखें, वरना असेसमेंट के वक्त क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
6. टैक्स-फ्री इनकम भी बताएं
PPF का इंटरेस्ट, एग्रीकल्चरल इनकम, गिफ्ट्स जैसी टैक्स फ्री इनकम भी ITR में शो करें।
यह पारदर्शिता (transparency) बनाती है और स्क्रूटिनी की संभावना घटती है।
7. विदेशी संपत्तियां और क्रिप्टो की जानकारी छुपाएं नहीं
अगर आपके पास
विदेशी बैंक अकाउंट, शेयर्स या इनकम है, तो उसकी रिपोर्टिंग अनिवार्य है।
छिपाने पर
Black Money Act, 2015 के तहत भारी पेनल्टी लग सकती है।
इसी तरह
क्रिप्टो या डिजिटल एसेट्स से इनकम हो, तो
सेक्शन 115BBH के तहत 30% फ्लैट टैक्स लगेगा—बिना किसी डिडक्शन के।
8. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना हमेशा फ़ायदेमंद है—even if not mandatory
अगर आपकी इनकम बेसिक एग्ज़ेम्प्शन लिमिट से कम है, तब भी ITR फाइल करना फायदेमंद है:
* भविष्य में
लोन, स्कॉलरशिप, टेंडर, वीज़ा में मदद मिलती है
*
फाइनेंशियल रिकॉर्ड बनता है
* पिछले सालों का लॉस कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं
ITR एक कानूनी ज़िम्मेदारी ही नहीं, आपकी फाइनेंशियल सच्चाई का प्रमाण है
आज के डिजिटल दौर में डेटा शेयरिंग इतनी तेज़ हो गई है कि अब गलती या चूक की कोई गुंजाइश नहीं है।
समय पर रिटर्न फाइल करना, ईमानदारी से इनकम बताना और ज़रूरत पड़ने पर प्रोफेशनल गाइडेंस लेना सबसे बेहतर तरीका है।