इस समारोह में युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ GRSE के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कमोडोर पीआर हरि (सेवानिवृत्त), भारतीय नौसेना और शिपयार्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
स्वदेशी निर्माण की दिशा में बड़ा कदम
NGOPV यार्ड 3040 का निर्माण भारत की स्वदेशी युद्धपोत निर्माण क्षमताओं का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ये पोत भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा, निगरानी, खोज-बचाव और समुद्री डकैती रोकने जैसे अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
निर्माण अनुबंध और परियोजना विवरण
भारत सरकार ने 30 मार्च 2023 को 11 अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती पोतों (NGOPVs) के निर्माण के लिए दो प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों — गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) के साथ अनुबंध किया था।
GSL को 7 पोतों के निर्माण की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
GRSE द्वारा 4 पोतों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें यार्ड 3040 चौथा पोत है।
पोत की विशेषताएँ
वजन: लगभग 3000 टन
कार्य:
तटीय रक्षा एवं समुद्री निगरानी
खोज एवं बचाव (Search and Rescue)
अपतटीय संपत्तियों की सुरक्षा
समुद्री डकैती और तस्करी विरोधी अभियान
इस परियोजना की सफलता भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों की सफलता को भी दर्शाती है। यह भारतीय नौसेना की सामरिक शक्ति को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
NGOPV यार्ड 3040 के निर्माण कार्य का आरंभ न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के समग्र रक्षा उत्पादन आत्मनिर्भरता के मार्ग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है। आने वाले वर्षों में ये पोत भारत की समुद्री सीमाओं को और अधिक सशक्त बनाएंगे और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की भूमिका को और दृढ़ करेंगे।