यह अधिनियम मैला ढोने की अमानवीय प्रथा को पूरी तरह समाप्त करने और इससे जुड़े व्यक्तियों के समुचित पुनर्वास का प्रावधान करता है। बैठक में राज्यसभा सांसद श्री मिथिलेश कुमार समेत सीएमसी के अन्य सदस्यों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों तथा विभिन्न मंत्रालयों एवं आयोगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में हुई प्रमुख चर्चाएं:
स्वच्छ भारत मिशन के तहत अधिकांश अस्वच्छ शौचालयों को स्वच्छ शौचालयों में परिवर्तित कर मैला ढोने की समस्या में कमी लाई गई है।
नमस्ते योजना के तहत सीवर और सेप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई को अनिवार्य बनाने पर ज़ोर दिया गया, जिससे सफाई कर्मियों को मानव मल के सीधे संपर्क से बचाया जा सके और सफाई कार्य में शून्य मृत्यु दर सुनिश्चित की जा सके।
वर्ष 2024-25 से कचरा बीनने वालों को भी नमस्ते योजना के अंतर्गत एक अतिरिक्त लक्ष्य समूह के रूप में शामिल किया गया है।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
* देशभर के 4,800 से अधिक शहरी निकायों में 86,806 सफाई कर्मियों का प्रोफाइल तैयार कर उन्हें मान्यता दी गई।
* 76,731 कर्मियों को पीपीई किट, 58,583 को आयुष्मान कार्ड, 639 आपातकालीन प्रतिक्रिया इकाइयाँ (ERSU) और 346 हेल्पलाइन नंबर चालू किए जा चुके हैं।
* 96,255 कचरा बीनने वालों में से 46,245 को मान्यता दी गई है।
* 696 जिलों ने नया सर्वेक्षण पूर्ण कर खुद को मैला ढोने से मुक्त घोषित किया है।
* सीवर से जुड़ी मौतों के मामलों में बढ़ा हुआ मुआवजा प्रदान किया जा रहा है।
* स्वच्छता परियोजनाओं हेतु पूंजीगत सब्सिडी को व्यक्तिगत स्तर पर 7.5 लाख और समूह के लिए 25 लाख रुपये तक बढ़ाया गया है।
कुछ राज्यों पर चिंता व्यक्त
समिति ने पाया कि कई राज्यों ने अब तक एमएस अधिनियम और नियमों के तहत आवश्यक समितियों का गठन नहीं किया है और न ही राज्य स्तरीय सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की है। साथ ही, सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हो रही मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।
समिति ने सभी संबंधित एजेंसियों को मशीनीकरण और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देने तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 अक्टूबर 2023 को दिए गए आदेशों के पूर्ण अनुपालन की सिफारिश की।