इन ठगों द्वारा फ़ोन कॉल, ईमेल या यहाँ तक कि वीडियो कॉल के ज़रिए संपर्क किया जाता है। वे दावा करते हैं कि पीड़ित का आधार कार्ड, बैंक खाता या मोबाइल नंबर किसी गैरकानूनी गतिविधि में इस्तेमाल हुआ है। फिर धमकी दी जाती है कि अगर तुरंत पैसे नहीं दिए गए, तो व्यक्ति को “गिरफ्तार” कर लिया जाएगा।
पुलिस का स्पष्ट संदेश
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि “साइबर अरेस्ट” जैसी कोई प्रक्रिया
कानूनी रूप से अस्तित्व में नहीं है।
पुलिस कभी भी फोन या ऑनलाइन माध्यम से पैसों की मांग नहीं करती।
यदि कोई खुद को पुलिस अधिकारी बताकर पैसे मांगे, तो यह निश्चित रूप से ठगी का मामला है।
देशभर में सामने आए मामले
दिल्ली (2022):
कुछ लोगों को कॉल आए, जिनमें ठग खुद को दिल्ली साइबर पुलिस का अधिकारी बता रहे थे। वे कहते थे कि आधार कार्ड किसी अपराध में उपयोग हुआ है और गिरफ्तारी से बचने के लिए तुरंत पैसे देने होंगे। इसके बाद
दिल्ली पुलिस ने सार्वजनिक चेतावनी जारी की कि कोई भी पुलिस अधिकारी “साइबर अरेस्ट” शब्द का प्रयोग नहीं करता।
बेंगलुरु (2023):
एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी से ठगों ने ₹2.3 लाख ऐंठ लिए। ठगों ने बताया कि उनके नाम पर भेजे गए पार्सल में अवैध दस्तावेज़ मिले हैं। खुद को “मुंबई साइबर पुलिस” बताने वाले इन अपराधियों ने गिरफ्तारी की धमकी देकर रकम वसूल की।
मुंबई (2023):
यहाँ एक महिला को ठगों ने
डीपफेक वीडियो कॉल भेजा, जिसमें एक नकली “पुलिस अधिकारी” बात करता दिखा। उसने कहा कि महिला का आधार कार्ड अपराध में जुड़ा है। डर के कारण महिला ने ₹1.5 लाख ट्रांसफर कर दिए। बाद में मुंबई पुलिस ने स्पष्ट किया कि यह एक
फर्जी वीडियो कॉल थी और मामला साइबर ठगी का था।
ऐसे कॉल या संदेश मिलने पर क्या करें
1.
घबराएँ नहीं। असली पुलिस कभी फोन या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी की धमकी नहीं देती।
2.
व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। आधार, पैन, बैंक डिटेल्स या ओटीपी किसी को न बताएं और न ही कोई भुगतान करें।
3.
तुरंत रिपोर्ट करें। साइबर अपराध हेल्पलाइन
1930 पर कॉल करें या [www.cybercrime.gov.in](http://www.cybercrime.gov.in) वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करें।
4.
परिवार से सलाह लें। यदि ऐसा कोई कॉल या संदेश आए तो तुरंत परिवार या भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें। कई ठगी डर और जल्दबाज़ी का फायदा उठाकर की जाती हैं।
सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव
पुलिस और सरकारी एजेंसियों ने दोहराया है कि
किसी नागरिक से कभी भी गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे नहीं मांगे जाते।
यह सब ठगों के डर पैदा करने वाले हथकंडे हैं।
सीए ज्योति तोरानी का कहना है कि ऐसे अपराधों से बचने के लिए
वरिष्ठ नागरिकों को जागरूक रहना और परिवार से जुड़े रहना बेहद ज़रूरी है।
डर की जगह समझदारी और समय पर संवाद ही सुरक्षा की कुंजी है।
दिल्ली पुलिस ने भी नागरिकों को जागरूक करते हुए कहा है —
“साइबर ठगी के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है — ज्ञान और धैर्य।
जब नागरिक सतर्क रहते हैं, तो ठग असफल हो जाते हैं।”