मार्च की अनुमति: विवाद का केंद्र
दिल्ली पुलिस ने मार्च को रोकने का कारण यह बताया कि INDIA गठबंधन ने इस प्रदर्शन के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "संसद के पास मार्च के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई थी। सुरक्षा कारणों और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रदर्शनकारियों को परिवहन भवन के पास रोका गया और हिरासत में लिया गया।" दिल्ली में संसद भवन और इसके आसपास का क्षेत्र उच्च सुरक्षा वाला क्षेत्र माना जाता है, जहां बिना अनुमति के कोई भी प्रदर्शन या सभा निषिद्ध है।
हालांकि, INDIA गठबंधन के नेताओं ने इस दावे का खंडन किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, "हमारा मार्च शांतिपूर्ण था और इसका उद्देश्य निर्वाचन आयोग को हमारी मांगों से अवगत कराना था। हमें अनुमति की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि यह एक संवैधानिक संस्था के समक्ष हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है।" समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, "यह सरकार की तानाशाही है। हमने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन हमें रोका गया।"
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में किसी भी प्रदर्शन के लिए पुलिस से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है, खासकर संसद भवन और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक बयान में कहा, "यदि विपक्ष ने अनुमति नहीं ली थी, तो पुलिस का हस्तक्षेप तकनीकी रूप से उचित हो सकता है। लेकिन यह भी सच है कि लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने के लिए अनुमति के नियमों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।"
वोट चोरी का आरोप और प्रदर्शन का उद्देश्य
राहुल गांधी ने इस प्रदर्शन को "लोकतंत्र, संविधान, और 'एक व्यक्ति, एक वोट' के अधिकार की रक्षा की लड़ाई" करार दिया। उन्होंने कहा, "वोट चोरी की सच्चाई अब देश के सामने है। यह केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र को बचाने का सवाल है।" INDIA गठबंधन की मांग है कि निर्वाचन आयोग एक साफ और पारदर्शी मतदाता सूची सुनिश्चित करे, विशेष रूप से बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) के संदर्भ में।
राहुल गांधी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता डेटा का हवाला देते हुए दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में 1,00,250 फर्जी वोट पाए गए। इनमें डुप्लिकेट वोट, अमान्य पते, और फर्जी फोटो जैसे उल्लंघन शामिल हैं। इस प्रेजेंटेशन, जिसे "Democracy Destroyed" नाम दिया गया, में शरद पवार, सोनिया गांधी, और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं को शामिल किया गया।
प्रदर्शन में क्या हुआ?
संसद के मकर द्वार से शुरू हुआ मार्च निर्वाचन भवन की ओर बढ़ रहा था, लेकिन परिवहन भवन के पास बैरिकेड्स लगाकर इसे रोक दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने "वोट चोर" और "SIR: Stealing Democratic Rights" जैसे नारे लगाए। इस दौरान, तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिताली बाग बेहोश हो गईं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। महुआ मोइत्रा भी अस्वस्थ हुईं, जिन्हें सहयोगी सांसदों ने संभाला।
हिरासत में लिए गए सांसदों को संसद मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां उन्होंने नारेबाजी जारी रखी। शिवसेना (UBT) के संजय राउत ने कहा, "यह सरकार की साजिश है। वे संसद को कार्य करने से रोक रहे हैं और लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं।" NCP की सुप्रिया सुले ने महात्मा गांधी का हवाला देते हुए कहा कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण था।
निर्वाचन आयोग और BJP का जवाब
निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यदि उनके पास ठोस सबूत हैं, तो उन्हें शपथपत्र के साथ औपचारिक शिकायत दर्ज करनी चाहिए। आयोग ने यह भी बताया कि कांग्रेस ने 2024 के चुनाव परिणामों को कर्नाटक में अदालत में चुनौती नहीं दी, जिससे उनके दावों पर सवाल उठते हैं।
BJP ने इन आरोपों को "निराधार" और "हारे हुए की हताशा" करार दिया। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, "कांग्रेस हारने पर हमेशा निर्वाचन आयोग पर सवाल उठाती है। यह उनकी पुरानी रणनीति है।" BJP प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस जीतने पर आयोग की तारीफ करती है और हारने पर बदनाम करती है।
बिहार में SIR और अन्य मुद्दे
विपक्ष ने बिहार में SIR को "वोट चोरी" का एक तरीका बताया। RJD नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बिहार की मतदाता सूची में डोनाल्ड ट्रंप और कौआ जैसे नाम शामिल हैं। उन्होंने अपनी यात्रा के समापन के लिए 1 सितंबर को सभी विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया है।
राहुल गांधी और INDIA गठबंधन का यह प्रदर्शन न केवल मतदाता सूची की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि मार्च की अनुमति को लेकर भी एक नया विवाद खड़ा करता है। जहां विपक्ष इसे लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई बता रहा है, वहीं दिल्ली पुलिस और BJP इसे कानून-व्यवस्था का उल्लंघन मानते हैं। यह घटना 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों और देश की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। जनता अब इस बात पर नजर रखे हुए है कि क्या निर्वाचन आयोग इन आरोपों का जवाब देगा और क्या विपक्ष अपनी मांगों को लेकर आगे की रणनीति बनाएगा।