कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ANRF के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन ने भारत को "वैश्विक अनुसंधान और नवाचार महाशक्ति" बनाने की दिशा में फाउंडेशन के दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने प्रतिभागियों से संवाद करते हुए कहा कि ANRF प्रधानमंत्री द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान को समाज से जोड़ते हुए, उसे जन-जन तक पहुंचाना है।
डॉ. कल्याणरमन ने शोधकर्ताओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स, फायरसाइड चैट्स और लाइटनिंग टॉक्स जैसे आधुनिक एवं नवाचारी माध्यमों का उपयोग कर अपने शोध को और प्रभावशाली व जनसुलभ बनाने की सलाह दी। उनका मुख्य जोर शोध की "गुणवत्ता, प्रभाव और परिणाम" पर केंद्रित रहा।
इस मौके पर आईआईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर पोन्नुरंगम कुमारगुरु ने ‘सरल’ (SARAL) प्लेटफॉर्म का लाइव प्रदर्शन किया। यह डिजिटल टूलसेट शोध कार्य को वीडियो में बदलने, 11 भारतीय भाषाओं में पहुंच बनाने और जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। प्रो. कुमारगुरु ने प्रतिभागियों के तकनीकी सवालों का भी विस्तार से जवाब दिया।
ANRF की मीडिया टीम ने पीएमईसीआरजी योजना के तकनीकी पहलुओं को विस्तार से समझाया और बताया कि किस प्रकार यह योजना शोधकर्ताओं को लचीलापन और स्वतंत्रता प्रदान करती है, जिससे वे अपनी परियोजनाओं को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकें।
कार्यक्रम का उद्देश्य था –
_पीएमईसीआरजी विजेताओं के बीच संवाद व सहयोग को बढ़ावा देना
_सोशल मीडिया के ज़रिए शोध के प्रचार-प्रसार को प्रोत्साहित करना
_विज्ञान को प्रयोगशालाओं से बाहर लाकर आमजन तक पहुँचाना
ANRF ने भविष्य में अनुदान और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को और अधिक सरल बनाने हेतु ऐसे कई वेबिनार आयोजित करने की योजना भी साझा की।