करीब 8,000 टन उच्च गुणवत्ता वाले स्टील की आपूर्ति कर, इस महारत्न कंपनी ने आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के संकल्प को फिर मज़बूती दी है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में विशाखापत्तनम में आयोजित भव्य समारोह में इन दोनों युद्धपोतों को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया।
INS उदयगिरि और हिमगिरि के निर्माण में सेल ने मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) के साथ मिलकर काम किया। सेल के बोकारो, भिलाई और राउरकेला स्टील प्लांट्स से हॉट-रोल्ड शीट्स और प्लेट्स की सप्लाई की गई, जो इन युद्धपोतों के निर्माण में अहम रही। खास बात यह है कि राउरकेला स्टील प्लांट का 'स्पेशल प्लेट प्लांट' अब तक टैंक, मिसाइल और युद्धपोतों जैसे रक्षा उपकरणों के लिए एक लाख टन से ज़्यादा क्रिटिकल ग्रेड स्टील की आपूर्ति कर चुका है।
यह केवल एक तकनीकी योगदान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदारी है — जो भारत को विदेशी आयात से मुक्ति दिलाने की दिशा में बड़ा कदम है। INS विक्रांत, INS नीलगिरी, INS अजय, INS अर्णाला, INS निस्तार, INS सूरत और INS विंध्यगिरि जैसे कई नामचीन जहाजों के निर्माण में भी सेल की भूमिका अहम रही है।
आज जब भारत अपनी रक्षा उत्पादन क्षमताओं को विश्वस्तर पर पहुंचाने की ओर बढ़ रहा है, तब 'सेल' जैसे घरेलू उत्पादकों का योगदान न केवल सराहनीय है, बल्कि यह भरोसा भी दिलाता है कि भारत अब अपने स्टील से अपने युद्धपोत गढ़ने की क्षमता रखता है — और यह आत्मनिर्भर भारत की असली तस्वीर है।