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Tuesday, August 26, 2025

24JT News Desk / Udaipur /August 24, 2025

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आज भारत की वायु रक्षा क्षमताओं में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जोड़ते हुए "एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली" (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण ओडिशा के समुद्री तट से सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह परीक्षण 23 अगस्त, 2025 को दोपहर लगभग 12:30 बजे किया गया।

"डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक किया "एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली" का पहला परीक्षण" | Photo Source : PIB
देश / डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक किया "एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली" का पहला परीक्षण

आईएडीडब्ल्यूएस एक अत्याधुनिक, बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जो देश में ही विकसित हथियार प्रणालियों पर आधारित है। इस प्रणाली में शामिल हैं —
* क्यूआरएसएएम: त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें

* वीएसएचओआरएडीएस: अति लघु दूरी वायु रक्षा प्रणाली

* डीईडब्ल्यू: उच्च शक्ति लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार

इस अत्याधुनिक प्रणाली का संचालन रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) द्वारा निर्मित केंद्रीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र से किया गया। वीएसएचओआरएडीएस का निर्माण रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और डीईडब्ल्यू प्रणाली का विकास सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS) ने किया है।

तीन लक्ष्यों पर सटीक वार


परीक्षण के दौरान DRDO ने तीन विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों — दो उच्च गति वाले मानवरहित हवाई वाहन (UAV) और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन — पर एक साथ सटीक निशाना साधा। ये सभी लक्ष्य अलग-अलग ऊंचाई और दूरी पर स्थित थे, जिन्हें क्रमशः क्यूआरएसएएम, वीएसएचओआरएडीएस और लेजर हथियार प्रणाली द्वारा पूरी तरह नष्ट कर दिया गया।

इस सफल परीक्षण में सभी हथियार प्रणालियों, रडार, संचार प्रणाली और कमान नियंत्रण केंद्र ने त्रुटिरहित प्रदर्शन किया। उड़ान डेटा की पुष्टि चांदीपुर की एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) के उन्नत रेंज उपकरणों ने की।

वरिष्ठ वैज्ञानिकों व सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ परीक्षण


इस परीक्षण का साक्षी बना DRDO का वैज्ञानिक समुदाय और सशस्त्र बलों के उच्चाधिकारी, जिन्होंने मौके पर मौजूद रहकर प्रदर्शन का मूल्यांकन किया।

रक्षा मंत्री और DRDO प्रमुख ने दी बधाई


रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने DRDO, सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग को इस शानदार सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि यह प्रणाली देश की बहुस्तरीय वायु रक्षा क्षमता को एक नई मजबूती देगी और किसी भी दुश्मन के हवाई हमलों से निपटने में रणनीतिक बढ़त प्रदान करेगी।

वहीं, DRDO प्रमुख और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. समीर वी. कामत ने भी इस उपलब्धि पर सभी वैज्ञानिकों और सहयोगी संस्थाओं को शुभकामनाएं दी हैं।

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