अपने उद्घाटन भाषण में श्री शाह ने कहा कि —
"आज के दिन ही देश के विधायी इतिहास की नींव पड़ी थी। विट्ठलभाई पटेल जी ने भारतीय लोकतंत्र को भारतीय विचारों पर आधारित स्वरूप देने का काम किया। यह सम्मेलन न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि हमें आत्ममंथन और लोकतांत्रिक दायित्वों की याद दिलाने वाला अवसर है।"
विट्ठलभाई पटेल की विरासत — लोकतंत्र का पाथेय
श्री शाह ने विट्ठलभाई पटेल को भारतीय विधायी प्रणाली का "भीष्म पितामह" करार देते हुए कहा कि उन्होंने न केवल विधानसभाओं की स्वायत्तता की नींव रखी, बल्कि सभापति की गरिमा और दायित्वों की परिभाषा भी गढ़ी। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की मनमानी के बीच लोकतंत्र के लिए जो संघर्ष किया, वह आज भी प्रेरणा है।
"उनके कार्यकाल में केंद्र और राज्य स्तर पर विधानसभाओं के सचिवालयों की स्थापना हुई। उन्होंने कहा था कि कोई भी विधानसभा सरकार के अधीन नहीं होनी चाहिए – यह बात आज भी उतनी ही प्रासंगिक है," श्री शाह ने कहा।
चर्चा हो, टकराव नहीं
गृहमंत्री ने सदनों में बढ़ते अवरोध और राजनीतिक अड़चनों पर भी चिंता व्यक्त की।
"आज विचारों का मंथन ही लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन यदि वाद-विवाद के नाम पर सदनों को ठप कर दिया जाए, तो लोकतंत्र को क्षति होती है।"
उन्होंने चेताया कि राजनीतिक स्वार्थों के लिए पूरे सत्र ठप करना लोकतांत्रिक परंपरा नहीं, और इस पर जनता व जनप्रतिनिधियों दोनों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
राष्ट्रीय एकता और विधायी विवेक
अपने संबोधन में श्री शाह ने कहा कि देश की विधानसभाएं केवल कानून बनाने के केंद्र नहीं, बल्कि नैतिक व वैचारिक दिशा देने वाले मंच हैं। उन्होंने कहा कि:
"हर कानून का अंतिम उद्देश्य जनकल्याण है। जब सदन विवेक, विचार और विधान की त्रयी से चलता है, तभी वह राष्ट्रहित में कार्य करता है।"
उन्होंने आगे कहा:
"सभापति केवल एक पद नहीं, वह संस्था है। एक बार शपथ लेने के बाद वह किसी दल का नहीं रहता। न्याय और निष्पक्षता ही उसकी प्रतिष्ठा के दो स्तंभ हैं।"
विट्ठलभाई पटेल पर प्रदर्शनी, भाषणों का होगा दस्तावेजीकरण
इस अवसर पर गृहमंत्री ने दिल्ली विधानसभा में लगी विट्ठलभाई पटेल पर केंद्रित प्रदर्शनी का अवलोकन किया और सुझाव दिया कि इस प्रकार की प्रदर्शनी देश की सभी विधानसभाओं में भी लगाई जानी चाहिए।
उन्होंने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि इस सम्मेलन में दिए गए सभी भाषणों का संकलन तैयार कर देश की सभी विधानसभाओं की लाइब्रेरी में भेजा जाए, जिससे युवा विधायकों को इतिहास और मूल्यों की जानकारी मिल सके।
उपस्थित गणमान्य
सम्मेलन में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, दिल्ली के उप-राज्यपाल श्री विनय सक्सेना, मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता सहित देशभर की विधानसभाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, विधान परिषदों के सभापति एवं उपसभापति सम्मिलित हुए। दो दिवसीय यह सम्मेलन भारतीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
लोकतंत्र के प्रति जनता का विश्वास ही विधान की आत्मा
कार्यक्रम के समापन पर गृहमंत्री ने कहा कि
"संसद और विधानसभाएं तभी जीवंत रह सकती हैं जब उनके गलियारों में सार्थक बहस हो, टकराव नहीं। जब ये मंच मौन हो जाते हैं, तो वे केवल ईंट-पत्थर की इमारतें बनकर रह जाते हैं।"
उन्होंने आह्वान किया कि सभी विधानसभाएं विचारशील लोकतंत्र के वाहक बनें, न कि विरोध की राजनीति का मंच।