इस सत्र का विषय था “मेडिकल-टेक नवाचारों के लिए अंतर-क्षेत्रीय नेटवर्किंग का लाभ उठाना”, जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। इस बैठक में भारत सहित नेपाल, श्रीलंका, भूटान और तिमोर-लेस्ते जैसे देशों के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हुए और स्वास्थ्य अनुसंधान प्रणालियों को सशक्त बनाने, सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और सीमापार सहयोग पर विचार-विमर्श किया।
सत्र को संबोधित करते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मजबूत और लचीली स्वास्थ्य प्रणालियाँ विकसित करने के लिए अंतर-देशीय सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सिर्फ तकनीक या जनशक्ति से नहीं, बल्कि वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रयोगशालाओं की स्थापना, नवीन उपकरणों के लिए नैदानिक परीक्षणों का समर्थन, और उद्योग व अनुसंधान के बीच सहयोग से ही भारत एक वैश्विक मेडटेक केंद्र बन सकता है।
उन्होंने बताया कि भारत में मेडिकल डिवाइस पार्क, ICMR की मेडटेक-मित्र और पेटेंट-मित्र पहल, नैदानिक परीक्षण सहायता योजनाएँ, और मजबूत शोध प्लेटफॉर्म—यह सभी पहल भारत को मेडटेक नवाचार का हब बना रही हैं।
श्री अग्रवाल ने राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NIPER) द्वारा चलाए जा रहे विशेष पाठ्यक्रमों की सराहना की, जो अब विदेशी छात्रों के लिए भी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण के ज़रिए चिकित्सा तकनीकें अब अस्पतालों से निकलकर घरों तक पहुँचेगीं, जिससे स्वास्थ्य सेवाएँ और अधिक सुलभ व किफायती होंगी।
उन्होंने औषधि विभाग द्वारा शुरू किए गए "डिस्कवरी मार्केटप्लेस" प्लेटफॉर्म का भी उल्लेख किया, जो स्टार्टअप्स, उद्योग, अकादमिक संस्थानों और अन्य हितधारकों को जोड़कर नवाचार को बाज़ार तक पहुँचाने का माध्यम बन रहा है।
अपने समापन वक्तव्य में, सचिव श्री अग्रवाल ने कहा कि यह शोध मंच दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र को मेडटेक नवाचारों का वैश्विक शक्ति केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है।