'भारत पहुंच चुका है' – यह संदेश गूंजेगा अंतरिक्ष में
डॉ. सिंह ने कहा कि जब भारत का अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा से यह घोषणा करेगा, तब यह पूरे ब्रह्मांड को एक स्पष्ट संदेश देगा – भारत अब केवल अनुसरणकर्ता नहीं, पथप्रदर्शक बन चुका है।
भारत की 15-वर्षीय अंतरिक्ष कार्ययोजना में शामिल होंगे 100+ उपग्रह और निजी भागीदारी
मंत्री ने बताया कि भारत ने अगले 15 वर्षों के लिए एक व्यापक अंतरिक्ष कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें 100 से अधिक उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल है – जिनमें 70% छोटे उपग्रह होंगे। यह मिशन सरकारी तकनीकी परियोजनाओं और निजी कंपनियों की सहभागिता से संचालित होंगे। इस योजना का उद्देश्य है:
* खाद्य व जल सुरक्षा
* आपदा प्रबंधन
* पर्यावरणीय स्थिरता
* समावेशी विकास
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस: नवाचार, विज्ञान और युवाओं के समर्पण का उत्सव
कार्यक्रम में डॉ. सिंह ने कहा, “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस केवल उपलब्धियों का उत्सव नहीं, बल्कि यह भविष्य की संभावनाओं की खोज का अवसर है। यह दिन विज्ञान, नवाचार और जनकल्याण के संगम को रेखांकित करता है।”
उन्होंने इसरो रोबोटिक्स चैलेंज और भारतीय अंतरिक्ष हैकाथॉन के विजेता छात्रों को सम्मानित किया और कहा कि यह युवा प्रतिभाएँ ही 2040 के विकसित भारत की नींव रख रही हैं।
गगनयान के चारों अंतरिक्ष यात्री भी रहे मंच पर उपस्थित
कार्यक्रम में भारत के बहुप्रतीक्षित मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के चारों अंतरिक्ष यात्री भी मंच पर उपस्थित रहे:
ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर
ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला
इन वीरों को देखकर पूरा भारत गौरव से झूम उठा।
ISRO के भावी मिशन: 2025 से 2035 तक अंतरिक्ष में भारत का परचम
ISRO अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने भारत के भावी मिशनों की झलक देते हुए बताया कि:
2025: नाविक प्रक्षेपण और मानव-रोबोट मिशन 'वायुमित्र'
2027: गगनयान की मानवयुक्त उड़ान
2028: चंद्रमित्र और चंद्रयान-4
2035: भारत का अपना स्पेस स्टेशन
2040: चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री की उपस्थिति
हैकाथॉन और IROC-U 2025 में युवा प्रतिभाओं ने दिखाया दम
61,000+ छात्रों ने भाग लिया भारतीय अंतरिक्ष हैकाथॉन में
विजयी टीमें: भू-स्थानिक टेक्नोलॉजी, एआई-एमएल और इमेज प्रोसेसिंग के क्षेत्रों में चमकीं
ISRO रोबोटिक्स चैलेंज (IROC-U 2025) में छात्रों ने GPS-रहित वातावरण में कार्य करने वाले रोबोटिक्स सिस्टम तैयार किए।
"आर्यभट्ट से गगनयान" – भारत की अंतरिक्ष यात्रा का प्रतीक विषय
इस वर्ष की थीम “आर्यभट्ट से गगनयान: प्राचीन ज्ञान से अनंत संभावनाओं तक” के माध्यम से डॉ. सिंह ने भारत की वैज्ञानिक परंपरा और आधुनिक नवाचार के सामंजस्य को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, “हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम प्रतीक नहीं, परिवर्तन है। यह राष्ट्र निर्माण का प्रमुख माध्यम बन चुका है।”