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Tuesday, August 26, 2025

24JT News Desk / Udaipur /August 18, 2025

भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) के अंतर्गत वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय द्वारा विदेश मंत्रालय के सहयोग से "विरासत और स्वदेशी वस्त्र" विषय पर दो सप्ताह का अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र कार्यक्रम 18 अगस्त से वाराणसी स्थित भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान (IIHT) में प्रारंभ हो गया है। यह कार्यक्रम 29 अगस्त 2025 तक चलेगा।

"भारतीय विरासत और स्वदेशी वस्त्रों पर दो सप्ताह का अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र कार्यक्रम शुरू, 16 देशों के 26 प्रतिभागी ले रहे हैं भाग" | Photo Source : PIB
देश / भारतीय विरासत और स्वदेशी वस्त्रों पर दो सप्ताह का अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र कार्यक्रम शुरू, 16 देशों के 26 प्रतिभागी ले रहे हैं भाग

इस कार्यक्रम में 16 देशों से आए 26 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। यह पहला अवसर है जब विदेश मंत्रालय और वस्त्र मंत्रालय ने इस प्रकार का संयुक्त आयोजन किया है, जो न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने का माध्यम बनेगा, बल्कि हथकरघा क्षेत्र में भारत की वैश्विक भूमिका को भी रेखांकित करेगा।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में विकास आयुक्त (हथकरघा) डॉ. एम. बीना ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उद्घाटन भाषण में उन्होंने कहा,

"भारतीय वस्त्रों का अध्ययन, भारत की विविध और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की गहराइयों में उतरने जैसा है। प्रत्येक बुनाई में एक कहानी बसती है, जो भारत के अतीत और परंपराओं को जीवंत करती है।"

डॉ. बीना ने स्थायित्व (Sustainability) की अवधारणा को रेखांकित करते हुए कहा कि हथकरघा न केवल एक पारंपरिक कला है, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील भविष्य की ओर एक ठोस कदम भी है। उन्होंने IIT दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि हथकरघा के कार्बन फुटप्रिंट की पुष्टि वैज्ञानिक रूप से भी हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि "हथकरघा को अपनाना आधुनिकता का विरोध नहीं, बल्कि एक हरित और सतत भविष्य की दिशा में बढ़ा कदम है।"

ITEC कार्यक्रम भारत सरकार की एक प्रमुख क्षमता निर्माण पहल है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1964 में की गई थी। अब तक 160 से अधिक देशों के दो लाख से अधिक अधिकारी इसके अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। इस दो सप्ताह के विशेष कोर्स में नीति निर्माताओं, टेक्सटाइल व्यवसायियों और पेशेवरों को भारत के स्वदेशी वस्त्रों और हथकरघा की विविध परंपराओं से रूबरू कराया जाएगा।

इस कार्यक्रम के तहत प्रतिभागी भारतीय हथकरघा परंपराओं, तकनीकों, संरक्षण उपायों और वैश्विक व्यापार में उनकी प्रासंगिकता पर आधारित सत्रों में भाग लेंगे। साथ ही भारत के विभिन्न प्रमुख हथकरघा केंद्रों के क्षेत्रीय भ्रमण की भी योजना है, जिससे उन्हें जमीनी अनुभव प्राप्त हो सके।

उल्लेखनीय है कि आईआईएचटी, वाराणसी की स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी, जिसका उद्देश्य हथकरघा क्षेत्र में तकनीकी कर्मियों को आधुनिकतम तकनीकों से प्रशिक्षित करना है।

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