आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने कहा, ‘‘आयुर्वेद ने सदैव बच्चों के स्वास्थ्य को स्वस्थ समाज की नींव माना है। यह संगोष्ठी न केवल बाल रोग प्रबंधन को समर्पित है, बल्कि यह आयुर्वेद की समग्र स्वास्थ्य दृष्टि को भी रेखांकित करती है।’’ उन्होंने उम्मीद जताई कि यह आयोजन बाल चिकित्सा के क्षेत्र में शोध व अभ्यास के नए मार्ग प्रशस्त करेगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी पारंपरिक चिकित्सा के महत्व को कई बार रेखांकित किया गया है। उन्होंने कहा था, ‘‘आयुष एक चिकित्सा प्रणाली भर नहीं, बल्कि जीवन के प्रति समग्र दृष्टिकोण है।’’ इसी विचार को आधार बनाकर यह संगोष्ठी बाल चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
आयुष मंत्रालय के सचिव एवं पद्मश्री वैद्य राजेश कोटेचा ने इस पहल को "प्राचीन ज्ञान और आधुनिक आवश्यकताओं के बीच सेतु" बताते हुए कहा कि, “यह संगोष्ठी नवाचार, अनुसंधान और सहयोग के लिए एक सशक्त मंच सिद्ध होगी।”
आरएवी के शासी निकाय के अध्यक्ष एवं पद्मश्री, पद्मभूषण से सम्मानित वैद्य देविंदर त्रिगुणा भी इस विचार-विमर्श में भाग लेंगे, जिससे संगोष्ठी का स्तर और भी ऊँचा होगा।
संगोष्ठी की प्रमुख विशेषताएं:
आयुर्वेद में बाल चिकित्सा विषय पर वैज्ञानिक शोध पत्रों की प्रस्तुति
युवा चिकित्सकों और छात्रों द्वारा पोस्टर प्रेजेंटेशन
बच्चों में निवारक एवं संवर्धक स्वास्थ्य देखभाल पर विशेष सत्र
सभी प्रतिभागियों को सेमिनार किट व प्रमाण पत्र
पंजीकृत प्रतिनिधियों को क्रेडिट अंक प्रदान किए जाएंगे
पंजीकरण अनिवार्य:
इच्छुक प्रतिभागी निम्न लिंक पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं:
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राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (RAV) देशभर के आयुर्वेद शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और विद्यार्थियों से अपील करता है कि वे इस संगोष्ठी में भाग लें और आयुर्वेद आधारित बाल स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई दिशा देने में अपनी भूमिका निभाएं।