यह पहल अखिल भारतीय शिक्षा समागम (ABSS) 2025 के दौरान की गई, जिसका उद्देश्य समावेशी और न्यायसंगत शिक्षा की ओर नीति की प्रतिबद्धता को धरातल पर उतारना है।
एनईपी और RPWD अधिनियम का समन्वय
NEP 2020 समावेशी शिक्षा को केंद्र में रखती है और यह दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 (RPWD Act) के प्रावधानों के साथ पूर्णतः संगत है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 12 तक सभी बच्चों को समावेशी वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
शिविरों का स्वरूप और कार्यान्वयन
इन मेगा शिविरों का उद्देश्य था CWSN की त्वरित स्क्रीनिंग, चिकित्सा मूल्यांकन (UDID प्रमाणन सहित) तथा सहायक उपकरणों का वितरण। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया गया कि वे पंचायत, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक न्याय जैसे विभागों के समन्वय से इन शिविरों का आयोजन करें ताकि सेवाएं बच्चों के घरों के नजदीक, विशेषकर ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में सुलभ कराई जा सकें।
ADIP योजना के तहत उपकरण वितरण
इस अभियान के तहत स्कूल शिक्षा विभाग (DoSEL) और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) के सहयोग से ADIP योजना को लागू किया गया। उपकरणों की खरीद और फिटिंग का कार्य ALIMCO के माध्यम से किया गया। इस योजना में 60:40 का लागत साझा अनुपात रखा गया, जिसमें राज्य और केंद्र की भागीदारी है।
अभियान की प्रमुख उपलब्धियाँ:
विवरण आँकड़े
मूल्यांकन किए गए बच्चों की संख्या 1,58,669
उपकरण प्राप्त करने वाले बच्चों की संख्या 28,837
कवर किए गए जिले 669
कवर किए गए ब्लॉक 4,884
तैनात विशेषज्ञ
(डॉक्टर, शिक्षक, पुनर्वास कर्मी आदि) 7,282
राज्यों का प्रदर्शन:
महाराष्ट्र: 50,905 बच्चों को कवर किया गया; 3,187 को उपकरण मिले
उत्तर प्रदेश: 25,737 बच्चों को कवर किया गया
बिहार: 17,570 बच्चों का मूल्यांकन हुआ
पुडुचेरी: 4,229 बच्चों में से 548 को उपकरण वितरित
मेघालय: 6,041 बच्चों का मूल्यांकन, 191 को उपकरण प्रदान
हिमाचल प्रदेश व सिक्किम: सीमित आंकड़े, पर विशेषज्ञों की विशेष तैनाती
सामुदायिक भागीदारी और जन-जागरूकता
अभियान की सफलता में स्थानीय निकायों, स्कूलों, अभिभावकों और स्वयंसेवी संगठनों की भागीदारी महत्वपूर्ण रही। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) और स्थानीय मीडिया के माध्यम से व्यापक जन-जागरूकता फैलाई गई। स्कूलों के नोटिस बोर्ड, वेबसाइट्स और सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान को जन-जन तक पहुँचाया गया।
निष्कर्ष
यह अभियान न केवल CWSN के लिए आवश्यक सहायक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सफल रहा, बल्कि समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को जमीनी स्तर पर साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण विभागों के बीच बेहतर समन्वय और सामुदायिक सहभागिता ने इस राष्ट्रीय स्तर की पहल को प्रभावशाली एवं प्रेरणादायक बना दिया।