डॉ. सिंह भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India) की एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 को एक परिवर्तनकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस नीति ने भू-स्थानिक डेटा का लोकतंत्रीकरण कर सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के उपयोगकर्ताओं को नई क्षमताएं प्रदान की हैं।
प्रमुख योजनाओं में अहम भूमिका निभा रहा सर्वे ऑफ इंडिया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि सर्वे ऑफ इंडिया की तकनीकी विशेषज्ञता अमृत मिशन, स्मार्ट सिटी परियोजना, डिजिटल ट्विन मिशन और नक्शा योजना जैसी प्रमुख योजनाओं में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं में AI और मशीन लर्निंग जैसी आधुनिक तकनीकों का एकीकरण किया जा रहा है, ताकि नागरिक-केंद्रित सेवाएं और अधिक प्रभावशाली बन सकें।
2030 तक हाई-रिजॉल्यूशन मैपिंग का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक शहरी और ग्रामीण इलाकों का 5 से 10 सेंटीमीटर रिजॉल्यूशन में टोपोग्राफिक सर्वेक्षण और मैपिंग की जाए। वहीं, वनों और बंजर भूमि के लिए यह लक्ष्य 50 से 100 सेंटीमीटर निर्धारित किया गया है।
सीओआरएस नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
उन्होंने बताया कि अब तक देशभर में 478 CORS (Continuously Operating Reference Stations) स्थापित किए जा चुके हैं, जो राष्ट्रीय भूगणितीय संदर्भ ढांचे (NGRF) का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूस और नाइजीरिया के साथ भू-स्थानिक डेटा साझेदारी संबंधी समझौते हो चुके हैं, जबकि छह अन्य देशों के साथ सहयोग प्रक्रिया में है।
राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन का निर्देश
बैठक में डॉ. सिंह ने सभी मंत्रालयों, विभागों और राज्यों के साथ मिलकर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित करने का निर्देश भी दिया, ताकि Survey of India की क्षमताओं और नवाचारों के बारे में व्यापक जागरूकता फैलाई जा सके।
उपस्थित अधिकारी
इस अवसर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. अभय करंदीकर, भारत के महासर्वेक्षक हितेश कुमार एस मकवाना तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।