कार्यक्रम में देश भर के 9,467 एटीएल स्कूलों के 4,73,350 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इन छात्रों ने वर्चुअल रूप से जुड़कर एक अभिनव परियोजना — वैक्यूम क्लीनर का निर्माण — को अंजाम दिया। छात्रों ने अपनी प्रयोगशालाओं में उपलब्ध आम सामग्री से इस प्रोजेक्ट को पूरा किया, जिसमें उन्हें चरणबद्ध वीडियो निर्देशों के माध्यम से मार्गदर्शन मिला।
लेह-लद्दाख से लेकर कन्याकुमारी और मणिपुर से लेकर कच्छ तक, हर क्षेत्र के छात्र इस नवाचार यज्ञ का हिस्सा बने। कश्मीर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से लेकर आकांक्षी जिलों और ग्रामीण स्कूलों तक, पूरे देश ने इस पहल को खुले दिल से अपनाया।
इस दौरान एआईएम की टीम भी छात्रों के साथ कदम से कदम मिलाकर शामिल हुई और एक वैक्यूम क्लीनर मॉडल का निर्माण किया।
'आज कक्षा नहीं, प्रयोगशालाओं में बन रहा है भारत का भविष्य'
इस अवसर पर एआईएम के मिशन निदेशक दीपक बागला ने कहा,
"प्रधानमंत्री के विकसित भारत के विजन के अनुरूप, यह आयोजन नवाचार को grassroots तक ले जाने का प्रमाण है। जब 10,000 से अधिक एटीएल लैब्स एक साथ एक घंटे तक निर्माण, अध्ययन और नवाचार करते हैं, तब वह केवल एक शैक्षणिक गतिविधि नहीं रह जाती – वह एक जन आंदोलन बन जाती है।"
उन्होंने आगे कहा कि विश्व का कोई भी देश अब तक अपने स्कूलों में इस पैमाने पर नवाचार को नहीं ले जा पाया है।
एआईएम: नवाचार की नई क्रांति का वाहक
अपनी स्थापना के बाद से एआईएम ने 10,000+ अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना कर छात्रों को 3D प्रिंटिंग, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, IoT जैसे अत्याधुनिक संसाधनों तक पहुंच दी है। ये लैब्स छात्रों को रचनात्मक सोच, समस्या-समाधान और व्यावहारिक तकनीकी ज्ञान से लैस कर रही हैं।
'मेगा टिंकरिंग दिवस': एक शुरुआत, एक आंदोलन
यह कार्यक्रम केवल एक दिन की गतिविधि नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय नवाचार आंदोलन की शुरुआत है। यह पूरे वर्ष के लिए टिंकरिंग गतिविधियों का लॉन्चपैड भी है, जो छात्रों, शिक्षकों, मेंटर्स, उच्च शिक्षा संस्थानों और उद्योग जगत के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
अटल इनोवेशन मिशन की यह पहल स्पष्ट संदेश देती है —
भविष्य कहीं और नहीं, हमारी प्रयोगशालाओं में गढ़ा जा रहा है। हमारी नई पीढ़ी अब केवल सीख नहीं रही, बल्कि निर्माण कर रही है।