कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए आयोग के सदस्य, न्यायमूर्ति (डॉ.) विद्युत रंजन सारंगी ने प्रशिक्षुओं को संबोधित किया। उन्होंने मानवाधिकारों को सम्मान, स्वतंत्रता, समानता और न्याय का मूल आधार बताते हुए छात्रों से अपील की कि वे इस प्रशिक्षण से लाभ लेकर समाज में हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि मानवाधिकार रक्षकों (Human Rights Defenders) के योगदान को पहचानना और सम्मान देना ज़रूरी है। साथ ही, उन्होंने अनुच्छेद 14, 19 और 21 के ज़रिए संविधान में निहित समानता, स्वतंत्रता और जीवन के अधिकारों की भी चर्चा की, जो मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) के अनुरूप हैं। एनएचआरसी द्वारा ट्रांसजेंडर अधिकारों जैसी संवेदनशील पहलों को भी उन्होंने रेखांकित किया।
इस प्रतिष्ठित इंटर्नशिप कार्यक्रम में 1,957 आवेदकों में से चुने गए 21 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 80 छात्र भाग ले रहे हैं, जो विभिन्न शैक्षणिक विषयों से ताल्लुक रखते हैं।
एनएचआरसी की संयुक्त सचिव श्रीमती सैदिंगपुई छकछुआक ने बताया कि इस इंटर्नशिप में कुल 46 सत्र आयोजित होंगे, जिनका संचालन वरिष्ठ सेवारत व सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी, शिक्षाविद, एनएचआरसी अधिकारी, मानवाधिकार विशेषज्ञ और नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधि करेंगे। इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षुओं को समूह प्रोजेक्ट, पुस्तक समीक्षाएं, भाषण प्रतियोगिताएं, तथा तिहाड़ जेल, पुलिस स्टेशन, और आशा किरण आश्रय गृह के वर्चुअल दौरे कराए जाएंगे, जिससे वे ज़मीनी स्तर पर मानवाधिकार से जुड़ी चुनौतियों को समझ सकें।
कार्यक्रम का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी में संवेदनशीलता व जागरूकता विकसित कर उन्हें मानवाधिकारों के प्रभावी राजदूत के रूप में तैयार करना है।
इस अवसर पर एनएचआरसी के संयुक्त सचिव श्री समीर कुमार, निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल वीरेंद्र सिंह सहित आयोग के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।