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Tuesday, August 26, 2025

24JT News Desk / Udaipur /August 11, 2025

तमिलनाडु के कोयंबटूर में आज विश्व हाथी दिवस-2025 बड़े ही धूमधाम और संरक्षण की प्रतिबद्धता के साथ मनाया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने की, जबकि विशिष्ट अतिथियों में राज्य मंत्री श्री कृति वर्धन सिंह और तमिलनाडु सरकार के वन मंत्री थिरु आर.एस. राजाकन्नप्पन शामिल रहे।

"विश्व हाथी दिवस-2025 12 अगस्त को तमिलनाडु के कोयंबटूर में मनाया जाएगा" | Photo Source : PIB
देश / विश्व हाथी दिवस-2025 12 अगस्त को तमिलनाडु के कोयंबटूर में मनाया जाएगा

भारत: एशियाई हाथियों का सबसे बड़ा घर


गौरतलब है कि भारत में दुनिया के लगभग 60 प्रतिशत जंगली हाथी पाए जाते हैं। देशभर में फैले 33 हाथी अभयारण्य और 150 चिन्हित हाथी गलियारे, इस विशाल जीव के संरक्षण के लिए भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। हाथियों को भारत में राष्ट्रीय विरासत पशु का दर्जा प्राप्त है — वे न केवल हमारी पारंपरिक और सांस्कृतिक पहचान में रचे-बसे हैं, बल्कि जैव विविधता में भी इनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कोयंबटूर : संरक्षण से संवाद तक


इस वर्ष का आयोजन "मनुष्य और हाथी के बीच संघर्ष को कम करने" पर केंद्रित रहा। वन्यजीव विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, नागरिक संगठनों और वन अधिकारियों ने एक साझा मंच पर आकर संघर्ष समाधान व संरक्षण रणनीतियों पर मंथन किया। कार्यक्रम के अंतर्गत एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें हाथी-बहुल राज्यों ने अपने-अपने अनुभव, समाधान और रणनीतियाँ साझा कीं।

कार्यशाला की प्रमुख बातें


भोजन और पानी की कमी के कारण हाथियों का मानव बस्तियों की ओर बढ़ना एक प्रमुख चिंता

प्रोजेक्ट एलीफेंट के अंतर्गत वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामुदायिक भागीदारी को प्राथमिकता

गलियारों की सुरक्षा, जागरूकता अभियान और स्थानीय समुदायों की भागीदारी जैसे विषयों पर विशेष बल

विशेषज्ञों ने संवेदनशील क्षेत्रों में तकनीकी नवाचार, जैसे GPS ट्रैकिंग और Early Warning Systems पर चर्चा की

12 लाख बच्चों की सहभागिता : भविष्य के संरक्षक तैयार


इस अवसर पर एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान की भी शुरुआत की गई, जिसमें देशभर के 5,000 स्कूलों के लगभग 12 लाख छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इसका उद्देश्य भावी पीढ़ियों में हाथियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता और जुड़ाव पैदा करना है।

तमिलनाडु : परंपरा और प्रकृति का संगम


तमिलनाडु न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत बल्कि हाथियों की पोषण भूमि के रूप में भी जाना जाता है। राज्य ने मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। कोयंबटूर में हुआ यह आयोजन, इस दिशा में तमिलनाडु की भूमिका को और अधिक सुदृढ़ करता है।

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