जनरल चौहान ने अपने संबोधन में कहा कि सशस्त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण की दिशा में उठाए गए कदम भविष्य के एकीकृत अभियानों की नींव रख रहे हैं। उन्होंने साझा किया कि बदलते युद्ध के स्वरूप, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी-संचालित परिदृश्य में, आत्मनिर्भरता और व्यापक क्षमता विकास अत्यंत आवश्यक हो गया है।
इस अवसर पर सीडीएस ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना और उच्चतर रक्षा प्रबंधन’ विषय पर एक विस्तृत व्याख्यान भी दिया। उन्होंने रक्षा संगठन के विकास, सैन्य मामलों के विभाग की भूमिका, राष्ट्रीय सुरक्षा समितियों के कार्य, संगठनात्मक पुनर्गठन, थिएटर कमांड्स की योजना और संयुक्त क्षमताओं को मजबूत करने वाले सुधारों पर प्रकाश डाला।
सीडीएस ने कहा कि उभरती राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा तंत्र में निरंतर सुधार, लचीलापन और आपसी तालमेल बेहद अहम हैं।
संयुक्त रसद प्रणाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
जनरल चौहान ने 'एकीकृत रसद के लिए संयुक्त प्राइमर' नामक एक व्यापक दस्तावेज़ भी जारी किया, जो रसद प्रणाली के डिजिटलीकरण, एकीकरण और आधुनिकीकरण की दिशा में एक अहम पहल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि, “रसद सैन्य अभियानों की रीढ़ है। तीनों सेनाओं में रसद एकीकरण, दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए अनिवार्य है।”
यह दस्तावेज़ न केवल सशस्त्र बलों के भीतर समन्वय को बढ़ावा देगा, बल्कि इसे राष्ट्रीय रसद ढांचे से जोड़ने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
ई-साइकिल परियोजना का शुभारंभ
सीडीएस ने कॉलेज परिसर में ‘स्मार्ट बाइक पब्लिक साइकिल शेयरिंग सुविधा’ का उद्घाटन भी किया। यह पहल न केवल सीडीएम के कर्मचारियों को पर्यावरण-अनुकूल आवागमन का विकल्प प्रदान करती है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को घटाने की दिशा में भी एक अहम प्रयास है। यह परियोजना स्मार्ट बाइक मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से शुरू की गई है।
सामरिक नेतृत्व के लिए सशक्त प्रशिक्षण
सीडीएम के कमांडेंट मेजर जनरल हर्ष छिब्बर ने जानकारी दी कि यह संस्थान वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को रणनीतिक नेतृत्व के लिए आवश्यक समकालीन प्रबंधन कौशल से सुसज्जित कर रहा है। 44 सप्ताह तक चलने वाले इस पाठ्यक्रम में कुल 167 प्रतिभागी शामिल हैं, जिनमें मित्र देशों के 12 अधिकारी भी हिस्सा ले रहे हैं, जो भारत की क्षेत्रीय सहयोग और रक्षा कूटनीति की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।