कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने कहा,
"प्रोजेक्ट लायन की सफलता प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की देन है। आज एशियाई शेर भारत में वन्यजीव संरक्षण का वैश्विक प्रतीक बन चुका है।"
उन्होंने बताया कि भारत में एशियाई शेरों की आबादी 2020 में 674 से बढ़कर 2025 में 891 तक पहुंच गई है, जो कि बीते पांच वर्षों में 32% की वृद्धि और पिछले एक दशक में 70% से अधिक की बढ़ोतरी है।
गुजरात बना शेरों का वैश्विक घर
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने संबोधन में कहा,
"गुजरात को गर्व है कि एशियाई शेरों का एकमात्र प्राकृतिक आवास हमारे यहां है। हमने वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण किया है और अब हम इनके लिए नया घर बरदा में बना रहे हैं।"
उन्होंने बताया कि 180 करोड़ रुपये की लागत से नई वन्यजीव संरक्षण परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें आवास विकास, पशु चिकित्सा सुविधाएं और इको-टूरिज्म इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
बरदा बना शेरों का दूसरा घर
बरदा वन्यजीव अभयारण्य, जो कि पोरबंदर और देवभूमि द्वारका जिलों में फैला है, अब एशियाई शेरों के दूसरे घर के रूप में उभर रहा है।
यहां 2023 में शेरों का प्राकृतिक प्रवास दर्ज किया गया और अब यहां 17 शेर (6 वयस्क, 11 शावक) मौजूद हैं।
बरदा सफारी पार्क के लिए लगभग 248 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है और केंद्र सरकार ने इसके विकास को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
छात्रों ने वर्चुअल माध्यम से की भागीदारी
इस अवसर पर गुजरात के 11 जिलों के लाखों छात्र वर्चुअली इस आयोजन से जुड़े।
मंत्रालय के मुताबिक, 2024 में आयोजित पिछले शेर दिवस में 18.63 लाख छात्र शामिल हुए थे और इस बार संख्या इससे भी अधिक रही।
प्रोजेक्ट लायन – मोदी सरकार की ऐतिहासिक पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को लाल किले से प्रोजेक्ट लायन की घोषणा की थी।
इसके तहत 2,927.71 करोड़ रुपये की 10 वर्षीय योजना स्वीकृत की गई है।
इस योजना के तहत गुजरात के जूनागढ़ जिले में वन्यजीव स्वास्थ्य सेवा के लिए राष्ट्रीय रेफरल केंद्र की स्थापना की जा रही है, जिसके लिए 20.24 हेक्टेयर भूमि आवंटित हो चुकी है।
क्या कहा मंत्री भूपेंद्र यादव ने:
"अगर आज एशियाई शेर कहीं जीवित हैं, तो वह गुजरात के गिर में हैं। ये भारत की पारिस्थितिक शक्ति और संरक्षण की वैश्विक आशा का प्रतीक हैं।"
"यह सफलता हर वन अधिकारी, वन्यजीव संरक्षक और समुदायों की सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रमाण है।"
"हम ऐसा भारत बना रहे हैं जहां मनुष्य और वन्यजीव दोनों साथ-साथ फलें-फूलें।"