इस अवसर पर श्रीमती खडसे ने कहा, “खेलो इंडिया अस्मिता, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए खेलों में एक सकारात्मक पहल है। यह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि सशक्तिकरण की दिशा में एक शक्तिशाली कदम है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह लीग आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों की युवा महिला प्रतिभाओं को मंच प्रदान कर उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास है। "यह मंच वह जगह है जहां जुनून, प्रदर्शन में बदलता है। यह पहली बार खेलने वाली खिलाड़ियों से लेकर छिपे हुए चैंपियनों तक सभी के लिए अवसरों से भरा मंच है," उन्होंने कहा।
एक दिवसीय इस आयोजन में 13 वर्ष से कम आयु वर्ग की युवा फुटबॉल खिलाड़ी शामिल हुईं। उद्घाटन समारोह में जलगांव जिला फुटबॉल संघ के सचिव फारुख शेख, केतकीताई पाटिल सहित कॉलेज प्रशासन के वरिष्ठ सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
मंत्री ने कहा कि यह पहल सरकार के 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि यह लीग सिर्फ एक खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन और महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है।
खेलों के ज़रिए सशक्तिकरण की कहानी
खेलो इंडिया अस्मिता लीग ‘खेलो भारत नीति’ का अहम हिस्सा है, जिसका उद्देश्य खेलों को राष्ट्र निर्माण और महिला सशक्तिकरण के माध्यम के रूप में स्थापित करना है। यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण और हाशिये पर मौजूद समुदायों की लड़कियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
यह लीग न केवल ऐतिहासिक असंतुलन को दूर करने का कार्य कर रही है, बल्कि खेलों से जुड़ी महिला प्रतिभाओं को नई पहचान भी दे रही है। "यह पहल रूढ़िवादी सोच को चुनौती दे रही है और महिलाओं को नए रोल मॉडल के रूप में उभरने का अवसर दे रही है," खडसे ने कहा।
संस्थागत समर्थन के साथ आगे बढ़ती पहल
कार्यक्रम का आयोजन युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के निर्देशन में, भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) और पश्चिमी भारत फुटबॉल संघ (WIFA) के संयुक्त सहयोग से किया गया।
इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर सही मंच और मार्गदर्शन मिले, तो भारत की बेटियां भी अंतरराष्ट्रीय खेल मंच पर देश का नाम रोशन करने की पूरी क्षमता रखती हैं।