कार्यक्रम का उद्घाटन पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि “पंचायती राज संस्थाएं केवल योजनाओं की क्रियान्वयन इकाई नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक शासन में समान भागीदार हैं। जमीनी स्तर की पंचायतों से प्राप्त अनुभव और अंतर्दृष्टि, भविष्य के लिए तैयार पंचायतों को आकार देने में बेहद महत्वपूर्ण है।”
श्री भारद्वाज ने इस कार्यशाला को 'फीडबैक आधारित नीति निर्माण' की दिशा में एक सार्थक प्रयास बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्थागत सुदृढ़ीकरण तभी संभव है जब व्यवस्था हर स्तर पर गुणवत्ता और जवाबदेही के लिए प्रतिबद्ध हो।
इस दौरान मंत्रालय के अपर सचिव श्री सुशील कुमार लोहानी ने जानकारी दी कि आरजीएसए का मौजूदा चरण वर्ष 2025 में समाप्त हो रहा है और इसके अगले संस्करण को 2026 से लागू करने की योजना है। उन्होंने बताया कि नया संस्करण जमीनी अनुभवों, साझा फीडबैक और डेटा आधारित साक्ष्यों पर आधारित होगा।
लोहानी ने कहा, “संशोधित आरजीएसए ने पंचायतों को डिजिटल गवर्नेंस, आवश्यकता-आधारित प्रशिक्षण, और संस्थागत विकास जैसे क्षेत्रों में मजबूती देने में बड़ी भूमिका निभाई है।” उन्होंने विशेष रूप से ई-ग्रामस्वराज पोर्टल का ज़िक्र किया, जो “योजना निर्माण से लेकर भुगतान तक” की प्रक्रिया को डिजिटल रूप से पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है।
कार्यशाला में देशभर से आए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पंचायती राज विभागों और राज्य ग्रामीण विकास संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
कार्यक्रम के दौरान आरजीएसए के प्रमुख पांच घटकों —
-क्षमता निर्माण व प्रशिक्षण
-संस्थागत तंत्र
-पंचायती राज अवसंरचना
-पीईएसए कार्यान्वयन
-नवाचार व आर्थिक विकास — पर गहन चर्चा हुई।
-राज्यों की टीमों ने अपने-अपने अनुभव, सर्वोत्तम अभ्यास, जमीनी चुनौतियां और नीतिगत सुझाव साझा किए।
-एक प्रस्तुति के ज़रिए योजना की प्रमुख उपलब्धियों के साथ-साथ वित्तीय ढांचे और लागत मानदंडों को भी साझा किया गया।
कार्यशाला से मिली जानकारी और सुझावों का उपयोग कर मंत्रालय विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पंचायती राज संस्थाओं को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और विकास-केंद्रित बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा।