इस कार्यक्रम में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री चंद्रशेखर पेम्मासानी, ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव श्री शैलेश कुमार सिंह सहित मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
हथकरघा: आत्मनिर्भरता और आज़ादी का प्रतीक
अपने संबोधन में श्री चौहान ने कहा,
"हथकरघा न केवल स्वावलंबन का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम में एक अहिंसक अस्त्र भी रहा है।"
उन्होंने कहा कि हमारे ग्रामीण कारीगरों की कला हज़ारों वर्षों से विश्व मंच पर भारत की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करती आ रही है।
SHG दीदियों की मेहनत से जीवंत हो रही लोक कला
मंत्री जी ने स्वयं सहायता समूह की बहनों के अद्वितीय कौशल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन दीदियों की मेहनत ने स्थानीय कला और संस्कृति को नया जीवन दिया है।
"इनकी रचनाएं भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति हैं।"
उन्होंने मार्केटिंग और ब्रांडिंग से जुड़ी समस्याओं का संज्ञान लेते हुए समाधान का आश्वासन दिया।
"आज का युग डिज़ाइन और गुणवत्ता का है। हमारी दीदियों को इसी के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाएगा।"
प्रधानमंत्री का संदेश: देशहित सर्वोपरि
श्री चौहान ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के संदेश को दोहराते हुए कहा:
"कोई भी समझौता किसानों, कारीगरों और छोटे उद्यमियों के हितों को नजरअंदाज करके नहीं किया जाएगा।"
उन्होंने लोगों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि यही हमारे आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का मार्ग है।
लक्ष्य: 3 करोड़ लखपति दीदियां
श्री चौहान ने कहा कि
"अब तक 1.5 करोड़ दीदियां लखपति बन चुकी हैं। जल्द ही हम 2 करोड़ के आंकड़े को पार करते हुए 3 करोड़ दीदियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगे। यह मिशन प्रधानमंत्री के दिल के बेहद करीब है।"
रक्षाबंधन से शुरू करें स्वदेशी अपनाने की पहल
उन्होंने देशवासियों से रक्षाबंधन और आगामी त्योहारों पर स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करने की अपील की।
"जब हम देश में निर्मित वस्तुएं खरीदते हैं, तब हम न केवल किसी कारीगर की मेहनत को सम्मान देते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मज़बूत करते हैं।"
कार्यक्रम का समापन: संकल्प और सराहना के साथ
कार्यक्रम के अंत में मंत्री श्री चौहान ने ‘स्वदेशी अपनाएं, स्वाभिमान बढ़ाएं’ के संकल्प के साथ कार्यक्रम का समापन किया। उन्होंने दीदियों द्वारा लगाए गए उत्पाद स्टॉल्स का अवलोकन भी किया और उनके परिश्रम की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।