11,098 किमी लंबी समुद्री सीमा का होगा समुचित दोहन
यह विधेयक भारत के नौ तटीय राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में फैले समुद्र तट की अपार संभावनाओं को न सिर्फ उजागर करेगा, बल्कि उसे विकास का मजबूत आधार बनाएगा। इस विधेयक को केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्यसभा में प्रस्तुत किया।
2030 तक 230 मिलियन मीट्रिक टन तटीय कार्गो का लक्ष्य
सोनोवाल ने स्पष्ट किया कि सरकार का लक्ष्य 2030 तक तटीय कार्गो की हिस्सेदारी को 230 मिलियन मीट्रिक टन तक ले जाना है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण से जोड़ा और कहा कि यह सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और लॉजिस्टिक दक्षता का रणनीतिक माध्यम है।
1958 के कानून की जगह लेगा आधुनिक फ्रेमवर्क
यह नया विधेयक मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 के अध्याय XIV को प्रतिस्थापित करता है और वैश्विक कैबोटेज मानकों के अनुरूप आधुनिक, सरल और पारदर्शी कानूनी ढांचा प्रस्तुत करता है।
छह अध्याय, 42 खंड — नया कानून क्या कहता है?
सरलीकृत लाइसेंसिंग प्रणाली की व्यवस्था
विदेशी जहाजों के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश
राष्ट्रीय तटीय और अंतर्देशीय नौवहन रणनीतिक योजना का निर्माण
तटीय शिपिंग का राष्ट्रीय डेटाबेस — जिससे रीयल-टाइम जानकारी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी
आत्मनिर्भर भारत के लिए मील का पत्थर
सोनोवाल ने कहा, “यह विधेयक विदेशी जहाजों पर हमारी निर्भरता को कम करेगा, विदेशी मुद्रा की बचत करेगा और भारतीय शिपिंग कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बढ़त देगा।” उन्होंने कहा कि यह तटीय क्षेत्रों में रोजगार, निवेश और आर्थिक गतिविधियों को गति देगा।
तीन बड़े समुद्री विधेयकों को मिली संसद की मंज़ूरी
मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2025
समुद्र द्वारा माल ढुलाई विधेयक, 2025
तटीय नौवहन अधिनियम, 2025
इन तीनों विधेयकों के ज़रिए सरकार ने एक आधुनिक, सक्षम और आत्मनिर्भर समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की आधारशिला रख दी है।
अंत में, क्या है महत्व?
भारत को मिलेगा ग्लोबल समुद्री हब बनने का रास्ता
आर्थिक विकास, लॉजिस्टिक मजबूती और नौकरी के अवसरों में वृद्धि
राष्ट्रीय सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला में मजबूती