पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के सीनियर लीडर रहे प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा की किताब ने देश में सनसनी फैला दी है। किताब में एक से बढ़कर एक दावे किए गए हैं। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 'प्रणब माई फादर' किताब में अपने पिता और गांधी परिवार के साथ उनके रिश्तों की कई अनसुनी बात सार्वजनिक की हैं। उन्होंने बताया है कि प्रणब मुखर्जी को पहले से पता था कि सोनिया गांधी उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी। उन्होंने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे और कहा था कि राहुल गांधी के कार्यालय को AM और PM में फर्क नहीं पता वह PMO क्या संभालेंगे। शर्मिष्ठा कांग्रेस की प्रवक्ता भी रह चुकी हैं। उन्होंने राहुल गांधी पर अपने पिता की आलोचनात्मक टिप्पणियों और गांधी परिवार के साथ उनके संबंधों से जुड़े कई पहलुओं के ओपन किया है।
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किताब में शर्मिष्ठा बताती हैं कि उनके पिता ने यह भी बताया था कि शायद राजनीति राहुल के लिए नहीं बनी है। उनकी राजनीतिक समझ की कमी उनके लगातार गायब रहने के अलावा समस्या पैदा कर रही है। राहुल ने 27 सितंबर, 2013 को पूर्व कैबिनेट मंत्री और पार्टी के संचार विभाग के प्रमुख अजय माकन द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रें में भाग लिया था और प्रस्तावित सरकारी अध्यादेश को बकवास कहा। यही नहीं अध्यादेश की एक प्रति भी फाड़ दी थी। अध्यादेश का मकसद दोषी विधायकों को तुरंत अयोग्य ठहराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करना था। शर्मिष्ठा लिखती हैं कि उनके पिता खुद अध्यादेश के खिलाफ थे और सैद्धांतिक रूप से राहुल से सहमत भी थे। लेकिन जिस तरह से राहुल ने किया, उससे वह हैरान थे।
शर्मिष्ठा ने बताया कि एक सुबह मुगल गार्डन में राहुल गांधी प्रणब से मिलने पहुंचे। जबकि प्रणब को सुबह की सैर और पूजा के दौरान कोई रुकावट पसंद नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने राहुल से मिलने से मना नहीं किया। दरअसल राहुल का प्रणब से शाम को मिलने का कार्यक्रम था। लेकिन राहुल के कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह है। शर्मिष्ठा को एक एडीसी से इस घटना के बारे में पता चला। उन्होंने अपने पिता से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा 'अगर राहुल का ऑफिस AM और PM के बीच फर्क नहीं समझता तो वह एक दिन पीएमओ चलाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?
शर्मिष्ठा की किताब प्रणब मुखर्जी की डायरी पर आधारित है। इसमें समकालीन भारतीय राजनीति पर उनके विचार हैं। 2020 में प्रणब का निधन हो गया था। उन्होंने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है। दशकों तक कांग्रेस सरकार में शीर्ष मंत्रालय संभाले। वह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में वित्त और रक्षा मंत्री थे। किताब में 2004 की उठापटक का भी जिक्र है। उस समय भाजपा लोकसभा चुनाव हारी थी और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी। उम्मीद थी कि कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनेंगी। उन्हें सहयोगियों का भी पूरा समर्थन मिला। इसके बावजूद सोनिया ने पीएम नहीं बनने का फैसला लिया। इसके बाद दावेदारों में प्रणब मुखर्जी और मनमोहन सिंह के नामों की चर्चा थी। यह बात अलग थी कि प्रणब जानते थे कि सोनिया गांधी उन्हें पीएम नहीं बनाएंगी। इस बारे में उन्होंने बेटी को पहले ही बता दिया था।