प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति की इस यात्रा को "ऐतिहासिक" करार देते हुए कहा कि यह दूसरी बार है जब किसी पैराग्वे राष्ट्रपति की भारत यात्रा हो रही है। उन्होंने बताया कि इस यात्रा में राष्ट्रपति के साथ आए सशक्त प्रतिनिधिमंडल और भारत के दो प्रमुख शहरों — दिल्ली व मुंबई की यात्रा से यह स्पष्ट होता है कि पैराग्वे भारत के साथ अपने संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाना चाहता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के पास कई क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं — खासकर आर्थिक सहयोग, डिजिटल टेक्नोलॉजी, ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, रक्षा, रेलवे और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में। उन्होंने यह भी बताया कि भारत MERCOSUR समूह के साथ एक प्रिफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट का हिस्सा है और इस सहयोग को विस्तार देने पर दोनों देश मिलकर काम कर सकते हैं।
सुरक्षा पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद, साइबर अपराध, संगठित अपराध और नशीले पदार्थों की तस्करी जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भारत और पैराग्वे कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
ग्लोबल साउथ की साझी चुनौतियों पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत और पैराग्वे की आशाएं और आकांक्षाएं एक जैसी हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कोविड-19 महामारी के समय भारत ने अपने मित्र देश पैराग्वे के साथ वैक्सीन साझा की थी — यह सहयोग भविष्य में और आगे बढ़ाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि इस यात्रा से भारत और पैराग्वे के बीच विश्वास, व्यापार और सहयोग की नींव और मजबूत होगी और यह भारत-लैटिन अमेरिका रिश्तों में एक नया अध्याय जोड़ेगी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले वर्ष उन्होंने गयाना में कैरीकॉम समिट में हिस्सा लिया था और उस मंच पर कई संभावित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की बात हुई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत पैराग्वे समेत पूरे लैटिन अमेरिकी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करने को प्रतिबद्ध है।