ऑपरेशन केलर: कैसे शुरू हुई कार्रवाई
भारतीय सेना के आधिकारिक बयान के अनुसार, "13 मई 2025 को, राष्ट्रीय राइफल्स इकाई की विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर, शोपियां के शोएकल केलर क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली। इसके बाद, भारतीय सेना ने एक तलाशी और नष्ट करने का अभियान शुरू किया। ऑपरेशन के दौरान, आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके जवाब में तीव्र गोलीबारी हुई, जिसमें तीन कट्टर आतंकवादी मारे गए। ऑपरेशन अभी भी जारी है।"
सुरक्षा बलों ने सुबह तड़के शोपियां के Forest Keller क्षेत्र में एक घेराबंदी और तलाशी अभियान (कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन) शुरू किया। जैसे ही सुरक्षा बल संदिग्ध ठिकाने की ओर बढ़े, आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच तीव्र गोलीबारी हुई। इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए, जिनमें से दो की पहचान शाहिद अहमद कुट्टे और अदनान शफी डार के रूप में हुई है, जबकि तीसरे आतंकी की पहचान अभी तक पुष्टि नहीं हुई है।
मारे गए आतंकियों की पहचान और उनका आपराधिक इतिहास
शाहिद अहमद कुट्टे: शाहिद, चोटीपोरा हीरपोरा, शोपियां का निवासी था और 8 मार्च 2023 को लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था। वह श्रेणी-ए (कट्टर) आतंकी था। वह कई आतंकी गतिविधियों में शामिल था, जिसमें:
8 अप्रैल 2024 को डेनिश रिज़ॉर्ट, शोपियां में गोलीबारी, जिसमें दो जर्मन पर्यटक और एक ड्राइवर घायल हुए थे।
18 मई 2024 को हीरपोरा, शोपियां में भाजपा सरपंच की हत्या।
3 फरवरी 2025 को बेहिबाग, कुलगाम में टेरिटोरियल आर्मी के जवान की हत्या में संदिग्ध भागीदारी।
अदनान शफी डार: अदनान, वंदुना मेलहोरा, शोपियां का निवासी था और 18 अक्टूबर 2024 को लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हुआ था। वह श्रेणी-सी आतंकी था। वह 18 अक्टूबर 2024 को वाची, शोपियां में एक गैर-स्थानीय मजदूर की हत्या में शामिल था।
तीसरा आतंकी: तीसरे आतंकी की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, वह भी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था।
पहलगाम हमले से संबंध की जांच
यह मुठभेड़ 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दक्षिण कश्मीर और किश्तवाड़ के जंगलों में चल रहे व्यापक तलाशी अभियानों का हिस्सा है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। पहलगाम हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली थी, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सहयोगी संगठन माना जाता है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों - आदिल हुसैन ठोकर, अली भाई और हाशिम मूसा - के स्केच और पहचान जारी किए थे, जिन पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि मंगलवार को मारे गए आतंकी पहलगाम हमले से सीधे तौर पर जुड़े थे या नहीं। सुरक्षा बल इस दिशा में जांच कर रहे हैं।
सुरक्षा बलों की रणनीति और क्षेत्र में स्थिति
सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन के दौरान अतिरिक्त सुदृढीकरण तैनात किया है ताकि आसपास के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और क्षेत्र में किसी अन्य संभावित खतरे को रोका जा सके। सूत्रों के अनुसार, केलर के जंगलों में अभी भी दो से तीन अन्य आतंकियों के छिपे होने की संभावना है, जिसके कारण तलाशी अभियान जारी है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और सीआरपीएफ की संयुक्त टीमें क्षेत्र में कड़ी निगरानी रख रही हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम आतंकवादियों को पनाह देने या उनकी सहायता करने वालों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं। यह ऑपरेशन दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ हमारी सतत लड़ाई का हिस्सा है।"
पहलगाम हमले के बाद भारत की सख्त नीति
पहलगाम हमले के बाद, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति को और सख्त कर दिया है। 7 मई 2025 को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में लश्कर, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था। इस ऑपरेशन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक सैन्य तनाव रहा, जिसके बाद दोनों देशों ने 12 मई को युद्धविराम की घोषणा की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था, "हमने आतंकवाद के खिलाफ केवल एक विराम लिया है। हम पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर रख रहे हैं। कोई भी आतंकी हमला अब बर्दाश्त नहीं होगा, और इसका जवाब हम अपनी शर्तों पर देंगे।" मंगलवार को, पीएम मोदी ने आदमपुर एयरबेस का दौरा किया और सैनिकों का हौसला बढ़ाया, जहां उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की सराहना की।
शोपियां में आतंकवाद के खिलाफ निरंतर अभियान
शोपियां और पुलवामा जैसे दक्षिण कश्मीर के क्षेत्र आतंकवादी गतिविधियों के लिए संवेदनशील रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद, सुरक्षा बलों ने इन क्षेत्रों में अपनी तलाशी और निगरानी बढ़ा दी है। 26 अप्रैल को, शाहिद अहमद कुट्टे के चोटीपोरा, शोपियां स्थित आवास को भी ध्वस्त कर दिया गया था, क्योंकि वह कई आतंकी गतिविधियों में शामिल था।
सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे दक्षिण कश्मीर में 'टेरर फ्री कश्मीर' पोस्टर लगाए हैं, जिसमें पहलगाम हमले के तीन संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें और जानकारी दी गई है। इन पोस्टरों में सूचना देने वालों की पहचान गुप्त रखने का आश्वासन दिया गया है।
नागरिकों की सुरक्षा और सामान्य स्थिति
भारत-पाकिस्तान युद्धविराम के बाद, जम्मू-कश्मीर में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। गैर-सीमावर्ती जिलों में स्कूल और कॉलेज 13 मई से फिर से खुल गए हैं। भारतीय सेना ने पुष्टि की है कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कोई युद्धविराम उल्लंघन नहीं हुआ है, लेकिन सुरक्षा बल उच्च सतर्कता पर हैं।
विश्लेषण: भारत की आतंकवाद विरोधी नीति
ऑपरेशन केलर और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियान भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाते हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों और संगठनों के लिए स्पष्ट संदेश दिया है कि कोई भी हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जी.डी. बख्शी ने कहा, "ऑपरेशन केलर जैसे अभियान दर्शाते हैं कि भारतीय सुरक्षा बल न केवल प्रतिक्रियात्मक हैं, बल्कि सक्रिय रूप से आतंकवाद के खतरे को खत्म करने के लिए तैयार हैं।"
शोपियां में ऑपरेशन केलर में तीन लश्कर-ए-तैयबा आतंकियों के मारे जाने से सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारत की निरंतर लड़ाई का हिस्सा है। हालांकि, पहलगाम हमले के मुख्य साजिशकर्ता अभी भी फरार हैं, और सुरक्षा बल उनकी तलाश में जुटे हुए हैं। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति पर अडिग है और किसी भी खतरे का जवाब निर्णायक रूप से देगा।