यह पहल हरियाणा वन विभाग द्वारा वन महोत्सव 2025 के अंतर्गत आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान शुरू की गई। मौके पर हरियाणा के उद्योग एवं वन मंत्री श्री राव नरबीर सिंह समेत कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी, प्रतिनिधि व पर्यावरण प्रेमी भी उपस्थित रहे।
भविष्य के लिए हरित धरोहर
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि 'मातृ वन' परियोजना केवल हरियाली ही नहीं, बल्कि दिल्ली-एनसीआर के लिए जीवनदायी फेफड़ों के रूप में कार्य करेगी। उन्होंने हरियाणा सरकार की सराहना करते हुए कहा कि अरावली की पारंपरिक वनस्पति को पुनर्स्थापित करना इस परियोजना की मुख्य उपलब्धि होगी।
उन्होंने कहा, “यह वन न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि युवाओं व वरिष्ठ नागरिकों को मानसिक शांति और बेहतर जीवनशैली देने वाला स्थान भी बनेगा।”
केंद्रीय मंत्री ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे अभियानों के जरिए आमजन में प्रकृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को भी दोहराया।
नागरिकों से 'वन मित्र' बनने की अपील
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि भारत में कार्बन उत्सर्जन एक बड़ी चुनौती बन चुका है और इसे कम करने के लिए वनों की कटाई पर रोक तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने नागरिकों से ‘वन मित्र’ बनने और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भागीदारी की अपील की।
उन्होंने कहा कि देश के ऊर्जा क्षेत्र में नवीकरणीय स्रोतों की हिस्सेदारी अब 50% से अधिक हो चुकी है, और ऐसे में गुरुग्राम जैसे महानगरों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरणा स्रोत बनना चाहिए।
मातृ वन: प्रकृति से प्रेरित थीम आधारित परियोजना
‘मातृ वन’ का निर्माण गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड के समीप अरावली की पहाड़ियों में किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय जैव विविधता को बहाल करने के उद्देश्य से विशेष किस्मों के वृक्ष लगाए जाएंगे। परियोजना के तहत काबुली कीकर (प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा) जैसी आक्रामक प्रजातियों को हटाकर अमलताश, बरगद, पीपल, बेल पत्र, नीम, खिरनी, इमली, बांस, सालर जैसी स्थानीय प्रजातियों का रोपण किया जाएगा।
थीम-आधारित उपवनों का विशेष आकर्षण
‘मातृ वन’ के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले विशेष उपवनों में शामिल हैं:
1. बोधि वाटिका: बरगद, पीपल, गुल्लर, पिलखन के वृक्ष
2. बम्बूसेटम: विभिन्न बांस प्रजातियाँ
3. पुष्प व सुगंध वाटिका: फूलों और सुगंधित वृक्षों का संयोजन
4. औषधीय पौधों की वाटिका, नक्षत्र वाटिका और राशि वाटिका
5. कैक्टस गार्डन और तितली उद्यान
इसके अतिरिक्त ‘मातृ वन’ में प्रकृति पथ, साइकिल ट्रैक, योग स्थल, गजबो, जल संरक्षण के लिए जलाशय, उपचारित जल सिंचाई प्रणाली तथा शहरी बाढ़ नियंत्रण उपाय भी शामिल होंगे।
अरावली जंगल सफारी का अवलोकन
कार्यक्रम से पूर्व सभी गणमान्य व्यक्तियों ने अरावली जंगल सफारी पार्क का निरीक्षण किया। साथ ही आईएमटी मानेसर में चिन्हित पांच स्थानों पर पौधारोपण कर कार्यक्रम को धरातलीय रूप भी प्रदान किया गया।