इस अवसर पर एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यन ने उद्घाटन भाषण में कहा कि “भारत की सांस्कृतिक विरासत में बुजुर्गों का सम्मान केंद्रीय मूल्य रहा है।” उन्होंने संगम साहित्य और यजुर्वेद का उल्लेख करते हुए आह्वान किया कि इन पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक नीतियों में समाहित किया जाए। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी, वरिष्ठ नागरिकों की गरिमा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
2050 तक 35 करोड़ बुजुर्गों का देश होगा भारत
एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल ने अपने मुख्य भाषण में चेताया कि वर्ष 2050 तक भारत में हर पांचवां नागरिक वरिष्ठ होगा। उन्होंने कहा कि यह एक नीतिगत चुनौती और अवसर दोनों है, और भारत को अपनी पारिवारिक देखभाल प्रणाली को मजबूत करते हुए जापान और स्कैंडिनेवियाई देशों से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है।
सम्मेलन में एक विशेष रिपोर्ट "भारत में वृद्धावस्था: चुनौतियाँ और अवसर" भी जारी की गई, जिसमें समावेशी और समुदाय-आधारित देखभाल मॉडल पर ज़ोर दिया गया।
विचारों की श्रृंखला में शामिल हुए देश-विदेश के दिग्गज
सम्मेलन के दौरान कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने विचार रखे:
1. डॉ. विनोद के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग — बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर ज़ोर
2. श्रीमती प्रीति सूदन, पूर्व सचिव, स्वास्थ्य मंत्रालय — मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता
3. श्री अमिताभ कांत, भारत के पूर्व G20 शेरपा — वृद्धावस्था को विकास से जोड़ने का दृष्टिकोण
4. डॉ. किरण बेदी, पूर्व उपराज्यपाल, पुडुचेरी
5. श्री अमरजीत सिन्हा, पूर्व सचिव, ग्रामीण विकास विभाग
सम्मेलन में यूएनएफपीए, हेल्पएज इंटरनेशनल, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, एम्स, आईआईपीएस मुंबई, ISKCON इंडिया, और कई अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हुए।
सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष
* बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और पोषण के चलते जीवन प्रत्याशा में वृद्धि
* वृद्धजनों को देश की 'सिल्वर इकोनॉमी' में शामिल करने की आवश्यकता
* राज्य स्तर पर देखभाल मॉडल को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद
* केरल के प्रशामक देखभाल मॉडल जैसे स्थानीय नवाचारों को अपनाने की सिफारिश
* परिवार और समुदाय-आधारित देखभाल को नीति में प्राथमिकता देने का आग्रह
समाज से अपील
सम्मेलन में सभी हितधारकों, नागरिक समाज संगठनों और आम जनता से यह अपील की गई कि वे वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाएँ, ताकि एक समावेशी, न्यायपूर्ण और संवेदनशील समाज का निर्माण हो सके।