महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च (इमसॉर) में विश्व हीमोफीलिया दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में पं भगवत दयाल स्वास्थ्य विज्ञान विवि के हेमाटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित चिकित्सक प्रो. सुधीर अत्री ने बतौर मुख्य वक्ता यह जानकारी दी। उन्होंने समदृष्टि क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल (सक्षम) के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में हीमोफीलिया रोग के कारण, कारकों, प्रकारों, लक्षण एवं उपचारों बारे विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो रक्त के ठीक से जमने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे लंबे समय तक रक्तस्राव होता है और आसानी से चोट लग जाती है।
प्रो. सुधीर अत्री ने कहा कि हीमोफीलिया के बारे में आमजन में जागरूकता बढ़ाने, प्रभावित लोगों के लिए समुचित उपचार और देखभाल करने तथा इस विकास के इलाज के लिए अनुसंधान प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है। हीमोफीलिया के इस वर्ष का थीम-सभी के लिए समान पहुंच : सभी रक्तस्राव विकारों को पहचानना और यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है कि इन स्थितियों वाले सभी लोगों को स्थान या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना उचित निदान और उपचार मिले।
कार्यक्रम में सह प्रमुख, सक्षम डाॅ. चंद्रभूषण पाठक ने बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत की। इमसॉर निदेशक प्रो. सत्यवान बरोदा ने इस जागरूकता कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया और अन्य रक्तस्त्राव विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। सहायक प्रोफेसर डाॅ. ईश्वर मित्तल ने मंच संचालन किया तथा अंत में आभार जताया।