Sunday, December 22, 2024

24JT News Desk / New Delhi /November 12, 2024

नई दिल्ली में 12 नवंबर, 2024 को मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) द्वारा आयोजित दिल्ली डिफेंस डायलॉग (डीडीडी) का उद्घाटन करते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार भारत में ‘अडप्टिव डिफेंस’ की अवधारणा को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘अडप्टिव डिफेंस’ का अर्थ ऐसी रणनीतिक रक्षा प्रणाली से है जो बदलते खतरों का पूर्वानुमान लगाकर उनके लिए तैयार रहे। इसका उद्देश्य न केवल वर्तमान खतरों से रक्षा करना है, बल्कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए भी पूरी तरह से सक्षम बनाना है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दिल्ली डिफेंस डायलॉग में संबोधन
राष्ट्रीय / भारत में ‘अडप्टिव डिफेंस’ की दिशा में कदम: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दिल्ली डिफेंस डायलॉग में संबोधन

अडप्टिव डिफेंस’ की आवश्यकता और महत्व :
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘अडप्टिव डिफेंस’ एक आवश्यकता बन चुकी है। "हमारे खतरों का स्वरूप बदल रहा है, ऐसे में हमें अपनी रक्षा प्रणाली को भी लगातार उन्नत करते रहना चाहिए। यह केवल हमारी सीमाओं की रक्षा नहीं बल्कि हमारे भविष्य की सुरक्षा की बात है।" उन्होंने कहा कि इस नए युग में युद्ध पारंपरिक सीमाओं से परे जाकर साइबर, हाइब्रिड और मनोवैज्ञानिक क्षेत्रों में फैल चुका है, जिससे इनसे निपटने के लिए नवीन दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकी की जरूरत है।

सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान :
रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा में सहयोग के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "अंतर-संपर्कता हमारे लिए एक वरदान भी है और चुनौती भी। यदि हमारे खतरे सीमा पार से आ रहे हैं, तो हमारे समाधान भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग से आने चाहिए।" उन्होंने साइबरस्पेस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकी में उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए देशों के बीच सहयोग को आवश्यक बताया।

सुरक्षा में उभरती प्रौद्योगिकियों की भूमिका :
ड्रोन, स्वार्म टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और साइबर सुरक्षा पर जोर देते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत इन तकनीकों के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि रक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा में 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकी और नवाचारों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

रक्षा उत्पादन और निर्यात में आत्मनिर्भरता की ओर :
रक्षा मंत्री ने बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ और स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत जैसी परियोजनाओं में भारत ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके साथ ही, भारत का रक्षा निर्यात 100 से अधिक देशों में हो रहा है, जिसमें अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया प्रमुख हैं। भारत का लक्ष्य 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का है।

डीडीडी का उद्देश्य और योगदान :
दिल्ली डिफेंस डायलॉग (डीडीडी) का आयोजन भारत में सुरक्षा और रक्षा के बहुआयामी मुद्दों पर चर्चा के लिए किया गया है। इसमें विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और सैन्य अधिकारियों को एक मंच पर लाकर भारत के रक्षा क्षेत्र को सशक्त करने के लिए सहयोग और विचारों का आदान-प्रदान किया गया।

इस मौके पर डीजी, एमपी-आईडीएसए अंबेसडर सुजान आर चिनॉय, एयर मार्शल एसपी धारकर और विभिन्न देशों से आये नागरिक एवं सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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