जलमार्ग विकास परियोजना का उद्देश्य गंगा नदी पर स्थित राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (एनडब्ल्यू-1) की नौवहन क्षमता को बढ़ाना है। परियोजना का क्रियान्वयन वाराणसी (उत्तर प्रदेश) से हल्दिया (पश्चिम बंगाल) तक गंगा के 1,390 किमी लंबे खंड पर किया जा रहा है, जो बिहार और झारखंड राज्यों से होकर गुजरता है।
IWAI इस परियोजना के तहत मल्टी-मॉडल और इंटर-मॉडल टर्मिनल, नेविगेशनल लॉक, सामुदायिक जेटी और नौ खंडों पर फेयरवे का रखरखाव कर रहा है। यह पूरा प्रयास विश्व बैंक की वित्तीय व तकनीकी सहायता से संचालित हो रहा है।
परियोजना के चलते गंगा पर माल ढुलाई में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जहां कुछ वर्ष पहले तक माल आवाजाही 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) वार्षिक थी, वहीं अब यह बढ़कर 16 MMT प्रति वर्ष हो चुकी है — यानी तीन गुना वृद्धि।
राष्ट्रीय जलमार्ग-1 को लेकर शुरू की गई जलवाहक कार्गो प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत वर्तमान में कोलकाता-पटना और कोलकाता-वाराणसी मार्गों पर अधिसूचित सेवाएं संचालित हो रही हैं। इसके अलावा, ‘गंगा विलास’ जैसे विश्व के सबसे लंबे रिवर क्रूज़ की सफलता ने नदी पर्यटन के नए आयाम खोल दिए हैं।
भविष्य की योजनाओं में, IWAI ने गंगा किनारे क्रूज टर्मिनल, माल ढुलाई गांव और जहाज मरम्मत केंद्र विकसित करने की घोषणा की है, जिससे कार्गो और क्रूज यातायात को और अधिक हरित, सस्टेनेबल और कुशल बनाया जा सकेगा।
इस अवसर पर IWAI की ओर से परियोजना के मुख्य अभियंता और प्रबंधक श्री अरुण कुमार मिश्र ने मंच पर जाकर यह प्रतिष्ठित सम्मान ग्रहण किया।