उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शासन सचिव महेन्द्र सोनी ने कहा, “ग्रामीण स्तर तक योजनाओं की प्रभावी क्रियान्विति के लिए सही और सटीक डेटा एंट्री आवश्यक है। यदि डेटा आधारहीन होगा, तो ग्रोथ मॉनिटरिंग भी प्रभावी नहीं हो सकेगी।” उन्होंने आगे कहा कि ICDS सेवाओं को मजबूत करने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ-साथ डेटा की गुणवत्ता में भी सुधार लाना होगा।
शासन सचिव ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसी भी योजना से जुड़ा कोई भी प्रकरण 10 दिन से अधिक लंबित नहीं रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि कर्मचारियों को मानदेय समय पर मिले।
इस मौके पर निदेशक ओ.पी. बुनकर ने कहा कि प्रशिक्षण तभी सार्थक होते हैं जब वे संवादात्मक हों। उन्होंने कहा कि पोषण ट्रैकर पोर्टल की निगरानी नियमित रूप से की जाए और जिला स्तर पर मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को और प्रभावशाली बनाया जाए।
“जब बच्चे पूरे उत्साह के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों में शामिल होंगे, तभी प्रशिक्षण का उद्देश्य पूरा होगा,” उन्होंने जोड़ा।
प्रशिक्षण के दौरान शासन सचिव महेन्द्र सोनी और निदेशक बुनकर ने ‘आधारशिला पाठ्यक्रम’ पर आधारित नई ईसीसीई सामग्री, साप्ताहिक ईसीसीई कैलेंडर, सेक्टर हैंडबुक और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए 'इंद्रधनुष' पुस्तक का भी विमोचन किया।
प्रशिक्षण के प्रारंभ में यूनिसेफ की शिक्षा निदेशक एवं विशेषज्ञ श्रीमती अमृता सेनगुप्ता ने प्रशिक्षण की रूपरेखा और उद्देश्य प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण 3 से 6 वर्ष के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है, ताकि बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सके।
इस कार्यक्रम का संचालन उप निदेशक (आईईसी) डॉ. धर्मवीर द्वारा विभिन्न सहयोगी संस्थाओं के समन्वय में किया गया।