राज्य खान विभाग की पहल पर बुधवार को जयपुर स्थित आरआईसी में एक उच्च स्तरीय साझा मंच का आयोजन किया गया, जिसमें खान, वन, पर्यावरण, सीया (SEIAA), जीएसआई, आईबीएम और प्रमुख स्टेक होल्डर्स शामिल हुए। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य लंबित अनुमतियों को गति देना और खनन कार्य जल्द शुरू कराना रहा।
"राज्य अग्रणी बनेगा खनन संचालन में भी" — प्रमुख सचिव टी. रविकान्त
खान, भूविज्ञान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव श्री टी. रविकान्त ने कहा कि राजस्थान नीलामी प्रक्रिया में तो पहले ही देश में अग्रणी रहा है, अब लक्ष्य है कि नीलाम खदानों के संचालन में भी राज्य अग्रणी बने।
उन्होंने जानकारी दी कि अगले 3–4 महीनों में आवश्यक स्वीकृतियां पूरी करवाकर कम से कम 10 प्रमुख खदानों को संचालित किया जाएगा।
"स्टेक होल्डर्स समय पर आवेदन करें, अनुमतियों में देरी नहीं होनी चाहिए," — टी. रविकान्त
चेकलिस्ट, एसओपी और कंसल्टेंट सूची होगी उपलब्ध
मुख्य सचिव ने सीया से आग्रह किया कि अनुमतियों के लिए एक मानक चेकलिस्ट जारी की जाए, जिससे दस्तावेज प्रस्तुत करने में पारदर्शिता और समानता बनी रहे। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित पर्यावरण सलाहकारों की सूची भी साझा की जाएगी ताकि पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया आसान हो।
वन विभाग व पर्यावरण इकाई का सहयोग
वन विभाग के नोडल अधिकारी श्री अरुण प्रसाद और सीया के सदस्य सचिव श्री विजय एन. ने भी औपचारिकताओं के संबंध में जानकारी दी और चेकलिस्ट शीघ्र उपलब्ध कराने की सहमति जताई।
स्टेक होल्डर्स ने जताया भरोसा
अंबुजा, डालमिया, जेके लक्ष्मी, नुवाको, जेएसडब्ल्यू सीमेंट सहित एक दर्जन से अधिक प्रमुख स्टेक होल्डर्स ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना की और आश्वस्त किया कि उनके स्तर पर लंबित औपचारिकताएं जल्द पूर्ण की जाएंगी।
भारतीय खान ब्यूरो की तत्परता
आईबीएम के क्षेत्रीय नियंत्रक श्री चन्द्रेश बोहरा ने जानकारी दी कि माइनिंग प्लान की स्वीकृति प्रक्रिया में तेजी लाई गई है और शीघ्र ही प्लान्स जारी कर दिए जाएंगे।
"अभियान के रूप में लिया गया है खदान संचालन" — खान निदेशक
खान निदेशक श्री दीपक तंवर ने बताया कि राज्य सरकार ने नीलाम खदानों को परिचालन में लाने को अभियान का रूप दिया है और सभी संबंधित विभागों को इसके लिए समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।
कार्यशाला में वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी
कार्यशाला में संयुक्त सचिव खान श्रीमती आशु चौधरी, अतिरिक्त निदेशक श्री एमपी मीणा, भूविज्ञान निदेशक श्री आलोक जैन, SME श्री एनएस शक्तावत, श्री भीम सिंह, श्री श्रीकृष्ण शर्मा व विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं औद्योगिक प्रतिनिधि शामिल हुए।