इस मौके पर श्री बैरवा ने कहा कि राज्य सरकार तकनीक और नवाचारों के माध्यम से यात्री सुविधाओं को बेहतर करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। VLTS के जरिए अब प्रदेश के सार्वजनिक परिवहन वाहनों की रीयल टाइम निगरानी संभव हो सकेगी, जिससे न केवल अवैध संचालन पर लगाम लगेगी बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
महिला यात्रियों की सुरक्षा होगी और भी पुख्ता
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य खासकर महिलाओं और संवेदनशील यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इस सिस्टम के तहत प्रदेश के लगभग 2.5 लाख सार्वजनिक सेवा वाहनों में GPS आधारित डिवाइस और पैनिक बटन लगाए जाएंगे। फिलहाल, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) की 892 बसों में यह सिस्टम पहले ही सक्रिय किया जा चुका है।
पैनिक बटन से मिलेगा इमरजेंसी में त्वरित सहायता
VLTS के अंतर्गत हर वाहन में लगे पैनिक बटन से जुड़कर यात्री आपात स्थिति में स्टेट इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS – 112) के ज़रिए त्वरित मदद प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से वाहन की स्पीड, रूट, स्टॉपेज और डिवाइस की कार्यशीलता की निगरानी की जाएगी।
ई-डिटेक्शन एप्लीकेशन और हाइपोथेकेशन रिमूवल मॉड्यूल का भी उद्घाटन
इस अवसर पर श्री बैरवा ने ई-डिटेक्शन एप्लीकेशन और हाइपोथेकेशन रिमूवल मॉड्यूल का भी लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम और यातायात नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए डिजिटल निगरानी प्रणाली को सशक्त किया जा रहा है।
ई-डिटेक्शन एप के माध्यम से राज्य के NHAI के 145 और MoRTH के 13 टोल प्लाजा को ऑनबोर्ड किया गया है। टोल से गुजरने वाले वाहनों की स्वचालित जांच की जाएगी और दस्तावेजों में कमी पाए जाने पर ऑटोमैटिक चालान जारी किया जाएगा।
फर्जी हाइपोथेकेशन रिमूवल पर लगेगी रोक
हाइपोथेकेशन रिमूवल मॉड्यूल से वाहन मालिक अब घर बैठे ही लोन चुकता होने के बाद बैंक से प्राप्त NOC के आधार पर ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से हाइपोथेकेशन हटा सकेंगे। इससे फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा और प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी बनेगी।
इस अवसर पर परिवहन विभाग की शासन सचिव श्रीमती शुचि त्यागी सहित विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।