सेमिनार में सामान्य अस्पताल रोहतक के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. सचिन सहगल ने कहा, "नेत्रदान से किसी विशेष व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से बदल सकता है। एक जोड़ी आंखों से दो से चार लोगों को रोशनी मिल सकती है।" उन्होंने बताया कि नेत्रदान से चेहरा खराब नहीं होता और न ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कोई बाधा आती है। "अब समाज में जागरूकता बढ़ रही है, लोग नेत्रदान के लिए आगे आ रहे हैं," उन्होंने कहा।
कार्यक्रम का संयोजन पूर्व नेत्र अधिकारी दिनेश शर्मा ने किया। उन्होंने बताया कि नेत्रदान केवल मृत्यु के बाद ही किया जा सकता है और यह अत्यंत समय-संवेदनशील प्रक्रिया है। मृत्यु के 6 से 8 घंटे के भीतर आंखों की प्राप्ति आवश्यक होती है। उन्होंने बताया, "जितनी जल्दी सूचना मिलेगी, उतनी जल्दी नेत्र प्राप्त कर उन्हें सुरक्षित नेत्र बैंक में प्रत्यारोपण हेतु संरक्षित किया जा सकता है।"
श्री शर्मा ने यह भी बताया कि सूचना 108 एंबुलेंस सेवा या निकटतम अस्पताल को दी जा सकती है। नेत्रदान पूर्णतः परिवार की सहमति से होता है और यह वहीं किया जाता है जहां परिवार चाहता है।
कार्यक्रम में फार्मेसी ऑफिसर धर्मवीर शर्मा ने स्वास्थ्य विभाग की टीम की सराहना की और कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आने वाले सभी मरीजों को नेत्रदान से संबंधित पंपलेट्स वितरित किए जाएंगे और उन्हें उचित जानकारी दी जाएगी।
इस अवसर पर सीनियर सिटीजन क्लब के प्रधान राजेंद्र शर्मा ने भी नेत्रदान की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “सभी धर्म नेत्रदान का समर्थन करते हैं। यह एक महायज्ञ है जिसमें हमें अपनी भूमिका निभानी चाहिए। हमारी संस्था समाज को इस दिशा में प्रेरित करती रहेगी।”
कार्यक्रम में जगत सिंह गिल, स्नेहलता (लेडी हेल्थ विज़िटर), रामकुमार (तकनीकी अधिकारी, सेवानिवृत्त), सुरेंद्र कुमार, भूपेंद्र बडक, शहरी स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में मरीज मौजूद रहे।
अंत में पूर्व नेत्र अधिकारी दिनेश शर्मा ने आरआईओ और स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी प्रतिभागियों और सहयोगियों का धन्यवाद किया।