श्री शर्मा ने "एक पेड़ मां के नाम" अभियान की सराहना करते हुए इसे प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक भावनात्मक और जागरूकता से जुड़ी पहल बताया। उन्होंने कहा कि पौधारोपण केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि प्रकृति से आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक होना चाहिए।
चौकियों और नाकों का निरीक्षण जरूरी
वन मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिले में मौजूद सभी वन चौकियों व नाकों की स्थिति का निरीक्षण कर उनकी रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जर्जर भवनों में कार्य नहीं होना चाहिए, और जहां आवश्यकता हो वहां नए भवनों के प्रस्ताव सरकार को शीघ्र भेजे जाएं। उन्होंने यह भी चेताया कि भविष्य में वे खुद औचक निरीक्षण कर सकते हैं, इसलिए अधिकारी हर समय सतर्क और उत्तरदायी रहें।
वन्यजीव सुरक्षा और पारदर्शिता पर जोर
श्री शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार वन क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर पूर्णतः प्रतिबद्ध है। उन्होंने अधिकारियों से वन्यजीव संरक्षण, जल प्रबंधन और पौधों की देखभाल को लेकर ईमानदारी और पारदर्शिता से कार्य करने की बात कही।
प्रस्तुत की गई योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट
बैठक के दौरान डीसीएफ श्री राहुल झांझड़िया ने चित्तौड़गढ़ वन मंडल की योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।
बैठक में इको सेंसिटिव जोन मास्टर प्लान, प्रे-बेस वृद्धि, लवकुश वाटिका, ग्रीन लंग्स डेवेलपमेंट, पौधारोपण की स्थिति और रिजर्व क्षेत्रों के संरक्षण जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की गई।
इसके अलावा वंदे गंगा अभियान, मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना, हरियालो राजस्थान अभियान, पौध वितरण, जियो टैगिंग, तथा वर्ष 2024-25 के पौधारोपण लक्ष्य और पिछले वर्षों की घोषणाओं की समीक्षा भी की गई।
जनप्रतिनिधियों की भागीदारी पर बल
वन मंत्री ने स्पष्ट कहा कि योजनाओं को प्रभावी और व्यापक बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इससे योजनाएं स्थानीय स्तर पर अधिक सशक्त रूप से लागू हो सकेंगी।
बैठक में पूर्व मंत्री व निम्बाहेड़ा विधायक श्री श्रीचंद कृपलानी, चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, बेगूं विधायक सुरेश धाकड़, जिला प्रमुख गब्बर सिंह, जिला कलक्टर आलोक रंजन सहित अनेक विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।