राज्यपाल श्री बागडे ने योग शिक्षकों, कलाकारों और योग क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे बच्चों को प्रशस्ति पत्र एवं नकद पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "योग केवल व्यायाम नहीं, यह हजारों वर्षों पुरानी भारतीय जीवन पद्धति है जो स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाती है।" उन्होंने यह भी बताया कि 21 जून को योग दिवस इसलिए चुना गया क्योंकि यह वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है, जो ऊर्जा और स्थायित्व का प्रतीक है।
राज्यपाल ने युवाओं के साथ-साथ वरिष्ठ नागरिकों के लिए योग और गति से जुड़ी विभिन्न शारीरिक मुद्राओं का प्रदर्शन कर दैनिक योग को जीवन का हिस्सा बनाने का संदेश दिया। उन्होंने महर्षि पतंजलि के योगदान को याद करते हुए कहा कि योग को नियमित रूप से अपनाने वाला व्यक्ति दीर्घायु और स्वस्थ रहता है।
कार्यक्रम में प्रदेश के उद्योग, खेल एवं युवा मामले मंत्री श्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने योग को मन, बुद्धि और शरीर की एकता का माध्यम बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुशासन और कार्यशैली को योग का परिणाम बताया और कहा, "तेजी से भागती इस दुनिया में केवल योग ही मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने का उपाय है।"
विधायक श्री गोपाल शर्मा ने अपने संबोधन में योग की परंपरा और भगवद्गीता में वर्णित योगेश्वर श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आज देश जिस प्रकार सीमाओं पर आतंक के ठिकानों को खत्म कर रहा है, उसमें भी मानसिक एकाग्रता और संतुलन – यानी योग – की ही भूमिका है।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रबंध निदेशक श्रीमती श्रुति भारद्वाज ने सरस की गतिविधियों और योग संस्कृति के संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। सरस डेयरी के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश पुनिया भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
योग संगम के दौरान तन्मय सिंह राव और अंकुश द्वारा दुर्लभ योग मुद्राओं का अद्भुत प्रदर्शन किया गया। सामूहिक योगाभ्यास का नेतृत्व डॉ. महेंद्र सिंह राव ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में शहरवासियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
यह आयोजन न केवल योग दिवस के उत्सव का पूर्वाभास था, बल्कि एक स्पष्ट संदेश भी — कि योग से ही होगी सशक्त और स्वस्थ भारत की नींव।