डॉ. वाली ने कहा कि श्रीअन्न, जिन्हें आम भाषा में मोटा अनाज कहा जाता है, न केवल पोषण का भंडार हैं, बल्कि ये शरीर के लिए औषधि और धरती के लिए वरदान भी हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाया गया, जिससे वैश्विक स्तर पर इनका प्रचार-प्रसार हुआ।
बड़े और छोटे श्रीअन्न का महत्व
भारत में श्रीअन्न को दो श्रेणियों – बड़े और छोटे – में वर्गीकृत किया गया है। बड़े श्रीअन्न में बाजरा, ज्वार, रागी, मक्का जैसे अनाज आते हैं जबकि छोटे श्रीअन्न में कुटकी, सांवा, कांगणी, चेना, मुराट जैसे पोषक अनाज शामिल हैं। डॉ. खादर के अनुसार, दुनिया में सबसे अधिक श्रीअन्न का उत्पादन भारत में ही होता है।
मिलेट्स: औषधि और समाधान दोनों
डॉ. खादर वाली ने बताया कि आजकल अधिकांश बीमारियों की जड़ ब्लड शुगर असंतुलन है, और मिलेट्स इस असंतुलन को नियंत्रित करने का स्वाभाविक उपाय हैं। मिलेट्स में प्रचुर मात्रा में फाइबर होता है, जिससे न केवल पाचन तंत्र बेहतर होता है, बल्कि ब्लड शुगर भी नियंत्रित रहता है। उन्होंने सलाह दी कि मिलेट्स को खाने से पहले 8 से 10 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए ताकि वे शरीर में अच्छे से पच सकें और पूरा पोषण दे सकें।
शासन की पहल और प्रोत्साहन
राज्य सरकार भी श्रीअन्न के उत्पादन, प्रसंस्करण और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के सचिव ने बताया कि कृषकों को माइक्रो न्यूट्रिएंट, बायो पेस्टिसाइड किट, प्रमाणित बीज और मिनीकिट्स दिए जा रहे हैं। साथ ही विभिन्न एफपीओ और स्वयं सहायता समूह इस क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
उत्कृष्टता केंद्र और अनुसंधान कार्य
मिलेट्स के संवर्धन के लिए जोधपुर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र, मंडोर में मिलेट्स उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की गई है। इसके अलावा हैदराबाद स्थित IIMR से जर्मप्लाज्म मंगवाकर राजस्थान की जलवायु के अनुरूप मिलेट्स की किस्में विकसित की जा रही हैं। बाड़मेर के गुढ़ामालानी में भी भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान का क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
श्रीअन्न को मिड डे मील में शामिल करने की योजना
राज्य सरकार ने श्रीअन्न के प्रचार-प्रसार के लिए ‘श्रीअन्न प्रमोशन एजेंसी’ की स्थापना की है। साथ ही वर्ष 2025-26 के बजट में श्रीअन्न को मिड डे मील योजना में शामिल करने की घोषणा की गई है। उपभोक्ता भंडारों में मिलेट्स के लिए अलग से कॉर्नर बनाए जा रहे हैं ताकि आमजन तक इनका पहुंचना और आसान हो सके।
कार्यक्रम में कृषि क्षेत्र से जुड़े अनेक विशेषज्ञ, अधिकारी और कृषकों ने भाग लिया और श्रीअन्न को दैनिक आहार में शामिल करने की दिशा में ठोस कदम उठाने पर सहमति व्यक्त की।