कार्यशाला का उद्देश्य भवन निर्माण और ध्वस्तीकरण (Demolition) के दौरान उत्पन्न पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के उपायों पर चर्चा करना रहा। इस अवसर पर पर्यावरणीय क्षेत्र के विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए और व्यावहारिक समाधान सुझाए।
डॉ. सुरपुर ने अपने उद्बोधन में कहा, “पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास और स्थिरता को साथ लेकर चलना आरएसपीसीबी का प्रमुख ध्येय है। हम केवल नियम लागू नहीं करते, बल्कि समाधान खोजने में भी भागीदार हैं। इसी सोच के साथ हम नियमित रूप से इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करते हैं, ताकि विभिन्न हितधारकों से संवाद स्थापित हो सके।”
उन्होंने आगे कहा कि मंडल राज्य सरकार की ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस की नीति के अंतर्गत उद्योगों और निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सहयोग कर रहा है। “मुख्यमंत्री महोदय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप, हम पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं,” उन्होंने कहा।
कार्यक्रम के समापन पर आरएसपीसीबी के सदस्य सचिव श्री एस.पी. सिंह ने सभी प्रतिभागियों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस कार्यशाला में क्रेडाई, आशियाना, मंगलम, नाकोडा भैरव जैसे प्रतिष्ठित बिल्डर समूहों के प्रतिनिधि, जेडीए, नगर निगम सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, तथा आरएसपीसीबी के अधिकारी और कर्मचारी शामिल रहे।
कार्यशाला के दौरान पर्यावरणीय विशेषज्ञ श्री रजनीश जैन, श्री अतुल शर्मा, डॉ. शिवराज ढाका और डॉ. संदीप श्रीवास्तव ने तकनीकी सत्रों में सहभागियों को जानकारी प्रदान की।
बिल्डर्स संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस संवादात्मक पहल की सराहना की और कहा कि वर्तमान समय में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।