रामजीलाल सुमन ने अपने बयान में कहा था, “बाबर को भारत में राणा सांगा ने बुलाया था। यह ऐतिहासिक तथ्य है। अगर मुसलमानों को बाबर की औलाद कहा जाता है, तो हिंदुओं को गद्दार राणा सांगा की औलाद क्यों नहीं कहते?” इस बयान के बाद से देश भर में सियासी और सामाजिक हलकों में हंगामा मचा हुआ है। सुमन ने गुरुवार को दिल्ली में पत्रकारों से कहा, “मैंने जो कहा, वह सच है। इतिहास को नकारा नहीं जा सकता। मैं इस जन्म में माफी नहीं मांगूंगा, अगले जन्म का पता नहीं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है और उनकी जान को खतरा है। सुमन ने राज्यसभा सभापति से अपनी सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है।
इस बीच, सुमन के इस बयान से नाराज करणी सेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बुधवार को करणी सेना के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आगरा में सुमन के आवास पर हमला किया था, जिसमें गाड़ियों और घर की खिड़कियों के शीशे तोड़े गए थे। पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें कई पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए। इसके बाद, क्षत्रिय करणी सेना के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष ओकेंद्र राणा ने एक वीडियो जारी कर 12 अप्रैल को आगरा में राणा सांगा की जयंती मनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “राणा सांगा हमारे स्वाभिमान हैं। उनके खिलाफ ओछी बात बर्दाश्त नहीं होगी। हम आगरा में उनकी जयंती मनाएंगे और इस अपमान का जवाब देंगे।”
ओकेंद्र राणा ने वीडियो में यह भी कहा, “मैं माफ भी कर देता, लेकिन चोट हमारे पूर्वजों के बलिदान को लगी है। हम गद्दार नहीं, इस देश के हकदार हैं।” करणी सेना ने सुमन से माफी की मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर माफी नहीं मांगी गई, तो वे सपा नेताओं का विरोध जारी रखेंगे। संगठन ने लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आवास और पार्टी कार्यालय के घेराव की भी धमकी दी है।
सियासी हलकों में भी यह मामला गर्माया हुआ है। बीजेपी ने सुमन के बयान की कड़ी निंदा की है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “राणा सांगा जैसे वीर योद्धा का अपमान देश का अपमान है। सुमन और सपा को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।” वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटना पर कहा, “संविधान किसी को घर जलाने की इजाजत नहीं देता। हिंसा का जवाब हिंसा नहीं हो सकता।” दूसरी ओर, अखिलेश यादव ने अपने सांसद का समर्थन करते हुए कहा, “रामजीलाल सुमन ने इतिहास का एक पन्ना पलटा है। बीजेपी औरंगजेब की बात करती है, तो हम राणा सांगा की क्यों नहीं?”
इस विवाद ने संसद से लेकर सड़कों तक हंगामा मचा रखा है। बुधवार को आगरा में हुए हमले के बाद पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की हैं। सुमन के बेटे रणजीत ने करणी सेना के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, जबकि पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। आगरा में सुमन के घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
इतिहासकारों का कहना है कि राणा सांगा मेवाड़ के शासक थे, जिन्होंने 1508 से 1528 तक शासन किया। वे अपनी वीरता और मुगलों के खिलाफ संघर्ष के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, खानवा के युद्ध (1527) में उनकी हार और बाबर के साथ संबंधों को लेकर इतिहास में अलग-अलग मत हैं। सुमन का बयान इसी बहस को हवा दे रहा है।