इस प्रभावशाली प्रस्तुति का आयोजन हरियाणा इंस्टिट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (HIPA), रोहतक द्वारा भव्य कल्चरल सोसायटी के सहयोग से किया गया। नाटक में मुख्य भूमिका निभाई ललित खन्ना ने, जिनके सशक्त और जीवंत अभिनय ने दर्शकों की भरपूर सराहना प्राप्त की।
नाट्य निर्देशन की कमान संभाली चर्चित रंगकर्मी विश्वदीपक त्रिखा ने, वहीं अविनाश सैनी सहायक निर्देशक के रूप में जुड़े। मंच सज्जा की जिम्मेदारी मनीष खरे ने निभाई, जबकि संगीत एवं प्रकाश संयोजन का कुशल संचालन जगदीप जुगनू द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक रहे वरिष्ठ नगारावादक सुभाष नगाड़ा।
संवेदनाओं की परतें खोलता ‘डेढ़ इंच ऊपर’
जर्मनी में हिटलर शासन के दौर की पृष्ठभूमि पर आधारित यह नाटक मानवीय संवेदनाओं, अकेलेपन, वैचारिक द्वंद्व और रिश्तों में उपजते अविश्वास की कहानी को अत्यंत प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है। नाटक पुरुष के जीवन में स्त्री की उपस्थिति और उसके महत्व को गहराई से रेखांकित करता है।
कहानी का मुख्य पात्र एक बार में बैठे अनजान लोगों को अपने जीवन की व्यथा सुनाता है। वह व्यक्ति भीड़ में रहते हुए भी अकेलेपन का शिकार है। जैसे-जैसे वह अपनी ज़िंदगी की परतें खोलता है, दर्शक उसके दर्द, उलझनों और भावनाओं से जुड़ते चले जाते हैं।
उसकी पीड़ा की जड़ है — उसकी दिवंगत पत्नी। एक दिन अचानक पुलिस उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लेती है और बाद में हत्या कर देती है। तब जाकर उसे पता चलता है कि उसकी पत्नी हिटलर विरोधी क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल थी और भूमिगत आंदोलन की नेता थी।
पुलिस को संदेह होता है कि वह भी इस साजिश में शामिल है, इसलिए उसे भी टॉर्चर किया जाता है। लेकिन उसके लिए शारीरिक प्रताड़ना से कहीं ज्यादा पीड़ादायक यह था कि 18 वर्षों तक उसके साथ रही उसकी पत्नी ने अपने जीवन का इतना बड़ा सच उससे कभी साझा नहीं किया।
गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाया गौरव
नाटक के दौरान समाज के कई प्रतिष्ठित और सम्माननीय नागरिकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी ऊँचाई दी। उपस्थित अतिथियों में प्रमुख रूप से भव्य कल्चरल सोसायटी के निदेशक संजय अमन पोपली, समाजसेवी सुनील धींगड़ा, कविन्द देवगण, मंजीत सिंह सेठी, उर्वशी चौहान, अर्चना घई आदि सम्मिलित रहे।
‘डेढ़ इंच ऊपर’ न केवल एक नाटक है, बल्कि यह रिश्तों, विश्वास और स्त्री के अंतस की जटिलताओं को दर्शाने वाली एक सशक्त संवेदनात्मक प्रस्तुति है, जो दर्शकों को सोचने पर विवश कर देती है।