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Wednesday, July 30, 2025

Gulafsha sheikh / Lucknow /April 25, 2025

कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम की सुदूर बैसरन घाटी में रहने वाले 30 वर्षीय आदिल हुसैन शाह का फोन मंगलवार को लगातार बजता रहा। उनके पिता सैयद हैदर शाह उन्हें चावल खरीदने के लिए कह रहे थे। आदिल का घर गरीबी से जूझता हुआ था, और यह बात उनके घर में रोज़ की थी। आदिल, जो एक टट्टू गाइड का काम करते थे, ने फोन नहीं उठाया। लेकिन जब तक परिवार ने स्थानीय पुलिस से संपर्क नहीं किया, तब तक चौंकाने वाली सचाई सामने आई—आदिल पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। इस हमले में वह एकमात्र स्थानीय व्यक्ति थे जो मारे गए। परिवार ने अपने एकमात्र कमाने वाले को खो दिया और गांव की समिति ने परिवार को और आगंतुकों को भोजन मुहैया कराना शुरू कर दिया।

Photo Source NBT
जम्मू और कश्मीर / "आदिल शाह का बलिदान: पहलगाम हमले में शहीद होने वाले इकलौते मुस्लिम की दिल दहला देने वाली कहानी

आदिल के पिता की कहानी:

आदिल के पिता हैदर शाह ने बताया कि उस दिन उनकी मां बेबीजान ने आदिल से घर में खाने के लिए चावल लाने के लिए कहा था। हैदर शाह ने बताया कि उन्होंने दोपहर करीब 2 बजे आदिल को फोन किया था, लेकिन आदिल ने फोन नहीं उठाया। वह समझे कि शायद आदिल पर्यटकों के साथ व्यस्त होगा। जब शाम तक कोई जवाब नहीं आया, तो हैदर शाह ने अपने छोटे बेटे नौशाद को पास की पुलिस चौकी भेजा। पुलिस चौकी से उन्हें 7 बजे घटना के बारे में सूचना मिली।

"कश्मीरियत का चेहरा":

जब टाइम्स ऑफ इंडिया गुरुवार को पहलगाम से लगभग 35 किलोमीटर दूर हपटनार गांव में आदिल के घर पहुंचा, तो रिश्तेदार और ग्रामीण उनकी शहादत पर शोक मना रहे थे। यह गुमनाम गांव अब राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में था। कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी बुधवार को आदिल के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। खानकाह-ए-हैदरी, सिद्दीकी ने कहा, "आदिल नए कश्मीर का चेहरा है। उसने पर्यटकों के लिए बलिदान देकर कश्मीरियत को साबित किया कि मेहमानों के लिए जान देना ही कश्मीरियत है।"

पिता की भावनाएँ:

आदिल के पिता हैदर शाह भावुक होकर कहते हैं, "मैं अपने बेटे को खोने से टूट चुका हूं। वह हमारे परिवार का स्तंभ था, लेकिन मुझे गर्व है कि उसने दूसरों की जान बचाने के लिए अपनी जान दे दी। वह खुदा का भेजा हुआ फरिश्ता था।" उन्होंने आगे बताया, "हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए आदिल को चावल लाने के लिए कहा था।"

आदिल की शहादत का सम्मान:

आदिल की शहादत ने कश्मीर घाटी में मानवता की मिसाल पेश की। उनका बलिदान यह दर्शाता है कि कश्मीरियत में धर्म से ऊपर इंसानियत है। आतंकवादियों के हमले में आदिल ने पर्यटकों की जान बचाने के लिए अपनी जान की आहुति दी। उनकी बहन ने कहा कि आदिल ने हमेशा दूसरों की मदद की, और अपनी जान की परवाह नहीं की। आज, उनका परिवार और गांव शोक में डूबा हुआ है, लेकिन आदिल की शहादत को याद करते हुए कश्मीरियत का जश्न मना रहा है।

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