Tranding
Sunday, July 6, 2025

24JT News Desk / Udaipur /June 22, 2025

जयपुर, जिसे 'गुलाबी नगरी' के नाम से जाना जाता है, वहां स्थित गलता तीर्थ न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अब यह विरासत के संरक्षण और समग्र विकास का आदर्श उदाहरण भी बनता जा रहा है। जयपुर जिला प्रशासन के प्रयासों से यह ऐतिहासिक स्थल एक बार फिर अपने दिव्य और भव्य स्वरूप की ओर लौट रहा है।

"गलता तीर्थ: आस्था, विरासत और विकास का संगम" | Photo Source : DIPR
राजस्थान / गलता तीर्थ: आस्था, विरासत और विकास का संगम

बदल रहा है गलता जी का स्वरूप


अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री आशीष कुमार ने जानकारी दी कि जिला कलक्टर एवं मंदिर ठिकाना गलता जी के प्रशासक डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी की दूरदर्शी सोच के चलते 11.94 करोड़ रुपये की लागत से गलता तीर्थ का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है। यहां न केवल मंदिरों और पवित्र कुंडों की सफाई और मरम्मत की गई है, बल्कि यात्रियों के लिए बुनियादी और आधुनिक सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं।

धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा


गलता परिसर में अब हिन्दी और अंग्रेजी में तीर्थ के इतिहास को दर्शाने वाले शिलालेख स्थापित किए गए हैं। घाट के बालाजी तक हेरिटेज पोल और आकर्षक लाइटिंग लगाई गई है, जिससे रात्रिकालीन सौंदर्य में भी इज़ाफा हुआ है। पैदल पथ, स्वागत द्वार, कोबल स्टोन, नाला कम पार्किंग, जालीदार पत्थर की दीवारें और विशेष सेल्फी पॉइंट पर्यटकों को विशेष आकर्षण दे रहे हैं।

सुरक्षा और पर्यावरण पर भी विशेष ध्यान


गलता मंदिर परिसर और घाट के बालाजी क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करते हुए 15 नाइट विज़न सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। वहीं, वन विभाग की साझेदारी से यहां हरियाली बढ़ाने के लिए सुंदर फूलों वाले पौधे और बेलें लगाई गई हैं जो वातावरण को न केवल सुगंधित बनाती हैं, बल्कि तीर्थ की सुंदरता को और निखारती हैं।

ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व


अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित गलता तीर्थ में अनेक मंदिर, पवित्र कुंड, मंडप और प्राकृतिक झरने मौजूद हैं। यह स्थल 16वीं सदी से ही रामानंदी संप्रदाय के संतों के लिए एक प्रमुख आश्रय स्थल रहा है। ऐसा माना जाता है कि संत गालव ने यहां सौ वर्षों तक तपस्या की थी। उनकी स्मृति में ही यह स्थान 'गलता जी' कहलाता है।

निर्माण और किंवदंतियां


गलता जी मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में दीवान राव कृपाराम द्वारा कराया गया था, जो सवाई जय सिंह द्वितीय के दरबारी थे। जनश्रुति है कि महान संत तुलसीदास ने भी यहीं रामचरितमानस के कुछ अंशों की रचना की थी।

यह मंदिर अपने कुंडों और झरनों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें सबसे पवित्र 'गलता कुंड' है — जिसे कभी सूखता नहीं माना जाता। यहां 'गौमुख' नामक एक गाय के मुख जैसी आकृति से शुद्ध जल बहता है, जो कुंडों में एकत्रित होता है। यह स्थल भगवान राम, कृष्ण और हनुमान के मंदिरों का घर है।

आस्था और पर्यटन का संगम


भव्य हवेली जैसी रचना, चित्रित दीवारें, छतें, स्तंभ और हरियाली से घिरा यह तीर्थस्थल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। साथ ही, यहां पाई जाने वाली बंदर जातियां और प्राकृतिक वातावरण इसे एक विशिष्ट पहचान देते हैं। गलता तीर्थ, धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से जयपुर के सबसे आकर्षक स्थलों में से एक बन चुका है।

Subscribe

Tranding

24 JobraaTimes

भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को बनाये रखने व लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए सवंत्रता, समानता, बन्धुत्व व न्याय की निष्पक्ष पत्रकारिता l

Subscribe to Stay Connected

2025 © 24 JOBRAA - TIMES MEDIA & COMMUNICATION PVT. LTD. All Rights Reserved.