हर सप्ताह हो रही जोनवार समीक्षा
बुधवार को शासन सचिवालय में आयोजित इस अहम बैठक में उपमुख्यमंत्री ने पीडब्ल्यूडी के कार्यों की विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने कहा कि बजट घोषणाओं को ज़मीन पर उतारना सरकार की प्राथमिकता है। इसी के तहत हर सप्ताह जोनवार समीक्षा बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिनमें परियोजनाओं की प्रगति का सूक्ष्म मूल्यांकन किया जा रहा है।
जिलावार प्रगति की माइक्रो समीक्षा
बैठक के दौरान जोधपुर, पाली, सिरोही, फलोदी, जालौर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ ज़िलों की सड़क परियोजनाओं की माइक्रो लेवल पर समीक्षा की गई। उपमुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अटल पथ जैसी ग्रामीण सड़कों के साथ जल निकासी के लिए नालियों का निर्माण अनिवार्य रूप से किया जाए ताकि वर्षा ऋतु में पानी जमा न हो।
बजट घोषणाओं पर तेजी से हो अमल
दीया कुमारी ने 2024-25 की बजट घोषणाओं के तहत चल रहे कार्यों को शीघ्र पूर्ण करवाने और 2025-26 के लिए स्वीकृत कार्यों की निविदा प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर काम शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने लंबित परियोजनाओं की बिंदुवार समीक्षा करते हुए संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर अटकी योजनाओं को गति देने को कहा।
अगली बैठक में प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य
उपमुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि अधिकारी आगामी पांच सप्ताह के भीतर अपनी फील्ड विज़िट की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इस रिपोर्ट में यह भी बताना होगा कि निरीक्षण के दौरान क्या कमियाँ मिलीं और उनमें कितना सुधार हुआ। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जिन कार्यों के निर्देश इस बैठक में दिए गए हैं, वे सभी आगामी बैठक से पूर्व पूर्ण होने चाहिए।
इन एजेंसियों की हुई समीक्षा
बैठक में एनएचएआई, एनएच, आरएसआरडीसी, राजस्थान स्टेट हाईवे अथॉरिटी, पेचेबल व नॉन-पेचेबल रोड्स तथा मिसिंग लिंक जैसी विभिन्न श्रेणियों की सड़कों की भी समीक्षा की गई।
वरिष्ठ अधिकारी रहे मौजूद
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी श्री प्रवीण गुप्ता, मुख्य अभियंता टी.सी. गुप्ता सहित मुख्यालय और संबंधित जिलों के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए।
राज्य नियंत्रण कक्ष में नियुक्त अधिकारी:
जनता अपनी सड़क संबंधी समस्याओं की शिकायत सीधे इन अधिकारियों से कर सकती है:
अशोक जांगिड़ – 9414548109
जतिन दायमा – 6375558012
कृष्ण कुमार मीणा – 7891720742
जिला स्तर पर भी बनेंगे नियंत्रण कक्ष
उपमुख्यमंत्री ने आदेश दिया है कि सिर्फ राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि ज़िलों में भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएँ ताकि स्थानीय समस्याओं का तत्काल समाधान हो सके। साथ ही जिलाधिकारियों और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नियमित रूप से फील्ड विजिट करें और कार्यों की वास्तविक स्थिति की समीक्षा स्वयं करें।